नयी दिल्ली, 23 फरवरी उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्र और कुछ राज्यों में किसानों के ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन’ के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।
याचिका में दावा किया गया है कि कई किसान संगठनों द्वारा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद केंद्र और कुछ राज्यों ने ‘धमकी’ जारी की है और राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं की किलेबंदी की है।
सिख चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रबंध निदेशक एग्नोस्टोस थियोस की ओर से दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता उन किसानों के हित में परमादेश का अनुरोध करता है जो अपने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में अनुचित व्यवहार का सामना कर रहे हैं।’’
याचिका में दावा किया गया कि कुछ प्रदर्शनकारियों को विभिन्न राज्य सरकारों ने जबरन गिरफ्तार किया, हिरासत में लिया और केंद्र ने सोशल मीडिया खातों को अवरुद्ध करने, यातायात का मार्ग बदलने और सड़कों को अवरुद्ध करने सहित निषेधात्मक उपायों को अनुचित तरीके से लागू किया।
इसमें आरोप लगाया गया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने किसानों के खिलाफ आंसू गैस, रबर की गोलियों और छर्रों का इस्तेमाल करने जैसे ‘‘आक्रामक और हिंसक उपाय’’अपनाए हैं, जिससे किसानों को गंभीर चोटें आईं।
याचिका में दावा किया गया है कि चिकित्सा सहायता के अभाव में चोटें गंभीर हो गईं और मौतें भी हुईं। दिल्ली की सीमाओं पर किलेबंदी ने ‘शत्रुतापूर्ण और हिंसक स्थिति’ पैदा कर दी है और किसानों को विरोध करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी है।
इसमें कहा गया है, ‘‘शांतिपूर्ण किसानों को केवल अपने लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों के प्रयोग के लिए अपनी ही सरकार द्वारा आतंकवादियों जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ा है।’’
याचिका में पीड़ित किसानों और उनके परिवारों के लिए पर्याप्त मुआवजे के अलावा, पुलिस द्वारा कथित मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में एक रिपोर्ट तलब करने का अनुरोध किया गया है।
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