Afghanistan Crisis: भारतीय राजदूत ने दिया बड़ा बयान, कहा- अफगानिस्तान के लोगों को छोड़ा नहीं है
टंडन सहित 120 लोगों के साथ भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान के काबुल से गुजरात के जामनगर एयरबेस पर उतरा. अफगानिस्तान में तेजी से बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के बीच एक आपातकालीन निकासी के तहत विमान ने भारतीय कर्मियों को लेकर काबुल से उड़ान भरी थी. इसके बाद विमान ईंधन भरने के बाद जामनगर से नयी दिल्ली के लिए रवाना हुआ.
जामनगर: अफगानिस्तान (Afghanistan) में भारत (India) के राजदूत रुद्रेंद्र टंडन (Rudrendra Tandon) ने मंगलवार को कहा कि भारत ने युद्धग्रस्त देश के लोगों को छोड़ा नहीं है, जिनके साथ नयी दिल्ली (New Delhi) ने दीर्घकालिक संबंध बनाए हैं और जो अब तालिबान (Taliban) के नियंत्रण में है. टंडन ने कहा कि अफगान लोगों का कल्याण और ‘‘उनके साथ हमारे संबंध हमारे दिमाग में है.’’ उन्होंने तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से भारतीयों की सुरक्षित वापसी पर खुशी व्यक्त की, जहां के नागरिक अब अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं. Afghanistan Crisis: डोभाल फिर बने संकटमोचक, अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए अमेरिकी NSA से बात कर बनाया प्लान
उन्होंने जामनगर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें खुशी है कि हम बिना किसी अप्रिय घटना के सुरक्षित तरीके से वापस आ गए. हमारा 192 कर्मियों का एक बहुत बड़ा मिशन था, जिन्हें दो चरणों में बहुत ही व्यवस्थित तरीके से तीन दिनों की अवधि के भीतर अफगानिस्तान से निकाला गया.’’
टंडन सहित 120 लोगों के साथ भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान के काबुल से गुजरात के जामनगर एयरबेस पर उतरा. अफगानिस्तान में तेजी से बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के बीच एक आपातकालीन निकासी के तहत विमान ने भारतीय कर्मियों को लेकर काबुल से उड़ान भरी थी. इसके बाद विमान ईंधन भरने के बाद जामनगर से नयी दिल्ली के लिए रवाना हुआ.
टंडन ने कहा कि मिशन के कर्मियों के अलावा जिन लोगों को अफगानिस्तान से निकाला गया उनमें एअर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम करने वाले लोग और अन्य भारतीय नागरिक शामिल हैं, जिन्होंने वहां ‘‘तेजी से बदलती स्थिति के कारण खुद को संकट में’’ पाया.
राजदूत ने अफगानिस्तान में तालिबान के हिंसा के जरिये कब्जे के बाद वहां की स्थिति पर कहा कि युद्धग्रस्त देश के लोगों का कल्याण अभी भी भारत के दिमाग में है. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि हमने अफगानिस्तान के लोगों को छोड़ दिया है. उनका कल्याण और उनके साथ हमारे संबंध हमारे दिमाग में है. हम आगे कोशिश करेंगे और उनके साथ संवाद जारी रखेंगे, निश्चित रूप से मैं वास्तव में यह नहीं कह सकता कि यह किस तरह से होगा क्योंकि स्थिति काफी बदल रही है.’’
टंडन ने कहा कि भारतीयों की सुरक्षित वापसी पर भारतीय दूतावास ने एक नीति अपनायी थी, जिसके तहत ‘‘जो कोई भी दूतावास में पहुंचता था, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और बाहर निकलने का रास्ता सुनिश्चित करने के लिए उसे परिसर के अंदर ले लिया जाता था. हम अभी भी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं क्योंकि वहां कुछ भारतीय हैं, यही कारण है कि एअर इंडिया काबुल तक अपनी वाणिज्यिक सेवा जारी रखेगी, जब तक वहां हवाईअड्डा कार्यात्मक है.’’
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने वहां एक हेल्प डेस्क खोला है ताकि कोई भी जो वहां फंसा है, उसे किसी तरह यहां लाया जाए.’’
टंडन के अनुसार, हालांकि कुछ भारतीयों ने वहां से निकलने के लिए दूतावास से संपर्क किया, फिर भी उन्हें अभी वापस नहीं लाया जा सका क्योंकि वे ‘‘बहुत दूर थे और उन क्षेत्रों में थे, जहां अब पहुंचना संभव नहीं था.’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कई अन्य लोग भी हैं, जिन्होंने पहले काबुल में रहने का विकल्प चुना था, लेकिन बाद में ‘‘अपना मन बदल लिया, ऐसे लोगों को भी वाणिज्यिक सेवा शुरू होने के बाद वापस लाया जाएगा.’’
अफगानिस्तान में अभी भी फंसे भारतीयों की सही संख्या के बारे में पूछे जाने पर, टंडन ने कहा कि यह आंकड़ा 40 से 50 हो सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि कई भारतीयों ने दूतावास में अपना पंजीकरण नहीं कराया है, जिससे मिशन अधिकारियों के लिए संपर्क करना मुश्किल हो गया है.
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