ताजा खबरें | राज्यसभा में उठा केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े पदों का मुद्दा

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक सदस्य ने सोमवार को केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में रिक्त पड़े करीब 10 लाख पदों का मुद्दा संसद में उठाया और इन्हें तत्काल भरे जाने की मांग की।

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक सदस्य ने सोमवार को केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में रिक्त पड़े करीब 10 लाख पदों का मुद्दा संसद में उठाया और इन्हें तत्काल भरे जाने की मांग की।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए माकपा सदस्य वी शिवदासन ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में 10 लाख पद रिक्त पड़े हैं। पिछले पांच सालों में सिर्फ दो लाख पदों को ही भरा जा सका है। इस लिहाज से देखा जाए तो प्रति वर्ष 40,000 लोगों को ही केंद्र सरकार के मंत्रालयों व विभागों में नौकरी दी जा सकी है।’’

उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में ‘‘ग्रुप ए’’ के 23,000, ‘‘ग्रुप बी’’ के 1.18 लाख और ‘‘ग्रुप सी’’ श्रेणी के आठ लाख पद रिक्त हैं जबकि रेलवे में 2.26 लाख, सेना में करीब 1.3 लाख पद रिक्त हैं।

उन्होंने कहा कि अन्य सशस्त्र बलों में भी बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं।

शिवदासन ने कहा देश में बढ़ती बेरोजगारी के मद्देनजर केंद्र सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और रिक्त पदों को भरे जाने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।

माकपा के ही इलामारम करीम ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से राज्यों को हो रहे राजस्व नुकसान का मुद्दा उठाया और इसकी क्षतिपूर्ति व्यवस्था को अगले पांच साल के लिए बढ़ाए जाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि एक जुलाई 2017 को एक ‘‘राष्ट्र, एक कर’’ के तहत जब जीएसटी लागू किया गया था तो उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित 17 शुल्कों को समाहित करने के साथ ही विलासिता के उत्पादों पर उपकर लगाया गया था।

उन्होंने कहा कि इससे होने वाले संग्रह का उपयोग राज्यों को उनके राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया गया था लेकिन यह तंत्र 30 जून, 2022 को समाप्त हो गया।

करीम ने कहा कि कोविड महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में काफी मंदी आई है तथा राजस्व में गिरावट आई लेकिन खर्च बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि इस वजह से असंतुलन भी पैदा हुआ है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को केरल और अन्य राज्यों के अनुरोध पर विचार करना चाहिए एवं क्षतिपूर्ति व्यवस्था को और पांच साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।

वाईएसआर कांग्रेस सदस्य वी विजयसाई रेड्डी ने ऋण संबंधी मोबाइल ऐप पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के ऐप ना केवल लोगों को ब्लैकमेल करते हैं बल्कि मोबाइल फोन पर संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी हासिल कर गोपनीयता का भी उल्लंघन करते हैं।

रेड्डी ने कहा कि ऐसे अधिकतर ऐप चीन से संचालित हो रहे हैं और सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे ऐप पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, उनके डेवलपर और प्रमोटर को दंडित किया जाना चाहिए और फोन डेटा की गोपनीयता के बारे में सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।’’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य पवित्र मार्गेरिटा ने चाय को राष्ट्रीय पेय घोषित किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगले साल असम चाय की शुरुआत के 200 साल पूरे हो जाएंगे, ऐसे में इसके प्रचार प्रसार में केंद्र सरकार को असम सरकार की सहायता करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर से कन्यकुमारी तक भारत के हर घर में चाय मिल जाता है। हर किसी की सुबह चाय से होती है। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा बन गया है। इसलिए चाय को राष्ट्रीय पेय घोषित किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने चाय बागानों के कर्मियों के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित किए जाने की मांग भी उठाई।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एम षणमुगम ने तमिलनाडु के चाय उत्पादक किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करने की मांग की।

समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान ने राजधानी के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्र व शिक्षक संघों के चुनाव पर रोक का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि इस विश्वविद्याालय से संबंधित कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है।

कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि इसके खिलाफ अनशन कर रहे छात्रों पर पुलिस बल इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने छात्रों का ‘उत्पीड़न’ रोकने की मांग की।

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