देश की खबरें | “विवादित स्थल पर मंदिर का होना विभिन्न धार्मिक पुस्तकों में उद्धृत है”
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. श्रृंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बहस करते हुए दावा किया कि विवादित स्थल पर मंदिर होने की बात विभिन्न ऐतिहासिक, धार्मिक पुस्तकों में उद्धृत है और यह भी तथ्य है कि उस मंदिर को ध्वस्त करके के बाद एक मस्जिद का निर्माण किया गया था।
प्रयागराज, छह दिसंबर श्रृंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बहस करते हुए दावा किया कि विवादित स्थल पर मंदिर होने की बात विभिन्न ऐतिहासिक, धार्मिक पुस्तकों में उद्धृत है और यह भी तथ्य है कि उस मंदिर को ध्वस्त करके के बाद एक मस्जिद का निर्माण किया गया था।
जैन ने कहा कि इस तरह की पुस्तकों का संज्ञान भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत एक साक्ष्य के तौर पर लिया जा सकता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय, अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर बुधवार को भी सुनवाई करेगा। अंजुमन इंतेजामिया ने वाराणसी की अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें पांच हिंदू महिलाओं के वाद की पोषणीयता को लेकर उसकी आपत्ति खारिज कर दी गई।
इन पांच महिलाओं ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं की नियमित पूजा अर्चना की अनुमति मांगी है।
पूर्व निर्धारित तिथि के मुताबिक, मंगलवार को इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। हालांकि थोड़ी देर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इस मामले में आगे की सुनवाई सात दिसंबर बुधवार को करने का निर्देश दिया।
वाराणसी के जिला जज 12 सितंबर को ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति- अंजुमन इंतेजामिया की अर्जी खारिज कर दी थी जो सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर वाद की पोषणीयता को चुनौती देते हुए दाखिल की गई थी।
अंजुमन इंतेजामिया की अर्जी खारिज करते हुए वाराणसी के जिला जज ने कहा था कि इन पांच महिलाओं का वाद पूजा स्थल अधिनियम, 1991, वक्फ अधिनियम, 1995 और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 से बाधित नहीं होता।
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