देश की खबरें | हैदरपोरा गोलीबारी में मारे गए युवक के परिवार को मुआवजा देने के आदेश को अदालत ने बरकरार रखा

श्रीनगर, एक जुलाई जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आमिर माग्रे के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश को बरकरार रखा, जो पिछले साल नवंबर में हैदरपोरा में गोलीबारी में मारा गया था। अदालत ने सरकार को माग्रे के परिजनों को उसकी कब्र पर फातिहा पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था।

मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायमूर्ति जावेद वानी की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य की अपील का निस्तारण करते हुए मुआवजे की राशि बरकरार रखी।

पीठ ने अपने 11 पृष्ठ के आदेश में कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवादी संख्या एक को अपीलकर्ताओं द्वारा उक्त मुआवजे का भुगतान भविष्य के लिए नजीर नहीं होगा...।’’

अदालत ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह मृत युवक के पिता और नौ अन्य रिश्तेदारों को उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा इलाके के वाडर पाईन में माग्रे की कब्र पर फातिहा पढ़ने की अनुमति दे।

आमिर माग्रे के पिता लतीफ माग्रे ने एक रिट याचिका दायर करके अपने बेटे के शव को निकालने का आग्रह किया था और यह भी आग्रह किया था कि शव को उसके पैतृक गांव में दफनाने के लिए परिवार को सौंप दिया जाए।

एकल पीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया था और पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया था।

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उच्चतम न्यायालय में उस आदेश के खिलाफ अपील की जिसने शव निकालने पर रोक लगा दी लेकिन प्रशासन को उच्च न्यायालय की एक बड़ी पीठ के समक्ष अपील करने के लिए कहा।

आमिर माग्रे (23) पिछले साल 15 नवंबर को हुई गोलीबारी में मारे गए चार व्यक्तियों में शामिल था।

पुलिस ने दावा किया था कि इमारत के व्यवसायी-मालिक और जिस परिसर में मुठभेड़ हुई थी, उसके किरायेदार सहित सभी चार लोग आतंकवादी या आतंकी संगठनों के ‘ओवरग्राउंड वर्कर’ थे।

हालांकि, मारे गए व्यक्तियों के परिवारों और राजनीतिक दलों के विरोध के कारण सरकार ने इमारत के मालिक अल्ताफ भट और किरायेदार मुदासिर के शव तीन दिन बाद वापस कर दिए। पुलिस ने यह कहते हुए कि माग्रे आतंक का समर्थन करने में शामिल था, उसका शव नहीं सौंपा था।

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