मुंबई, 21 जून : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी (महाट्रांसको) से एक ट्रांसजेंडर की ओर से दायर याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा जिसमें महाट्रांसको में नौकरियों में आरक्षण देने की मांग की गई है. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अमजद सईद की पीठ ने राज्य के प्राधिकारियों को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
पीठ अधिवक्ता क्रांति एल सी के माध्यम से एक ट्रांसजेंडर द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें याचिकाकर्ता ने कहा है कि महाट्रांसको ने लगभग 170 लोगों के लिए नौकरी का विज्ञापन निकाला था और उसने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), महिलाओं तथा निशक्त जनों को आरक्षण भी दिया, लेकिन ट्रांसजेंडर लोगों के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं की गई. याचिका में कहा गया है कि महाट्रांसको ने भले ही तीसरे लिंग के आवेदकों को उक्त रिक्तियों के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी, लेकिन उन्हें कोई आरक्षण नहीं प्रदान किया गया. यह भी पढ़ें : Maharashtra Political Crisis: एकनाथ शिंदे आज शाम मंत्री पद से दे सकते हैं इस्तीफा, क्या होगा अगला कदम?
इसमें कहा गया है कि ऐसा उच्चतम न्यायालय के पूर्व में दिए गए उन फैसलों के बावजूद किया गया, जिनमें स्पष्ट किया गया है कि इस तरह का आरक्षण दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि आरक्षण न मिलने से भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 द्वारा प्रदत्त आजीविका अर्जित करने के उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है. पीठ ने राज्य के प्राधिकारियों से पूछा कि ट्रांसजेंडर लोगों को आरक्षण क्यों नहीं दिया गया. उसने प्राधिकारियों से ‘दो हफ्ते में’ इस संबंध में अपना जवाब दाखिल करने को कहा.