नयी दिल्ली, चार जुलाई सहकारिता क्षेत्र भारत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही देश के 70 करोड़ गरीबों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को यह बात कही।
शाह, जिनके पास गृह मंत्रालय का भी प्रभार है, ने सहकारी समितियों से इन 70 करोड़ लोगों की मदद करने और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए कहा।
उन्होंने यहां 100वां अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में गरीबों की भलाई और उन्हें बिजली, रसोई गैस, आवास तथा स्वास्थ्य बीमा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।
शाह ने कहा कि ये 70 करोड़ लोग अब बेहतर जीवन की आकांक्षा कर रहे हैं, और इसे सिर्फ सहकारी क्षेत्र द्वारा ही पूरा किया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ ''गरीबी हटाओ'' का नारा दिया, लेकिन गरीबी को खत्म करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए।
उन्होंने कहा कि पूंजीवाद और साम्यवाद शासन के चरम रूप हैं, और विकास का सहकारी मॉडल ही देश के लिए सबसे उपयुक्त है। सहकारिता मंत्रालय सहकारी क्षेत्र को पेशेवर और बहुआयामी बनाकर विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि कौशल प्रशिक्षण देने के लिए लेखांकन, विपणन और प्रबंधन जैसे विषयों पर आधारित एक सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा।
शाह ने कहा कि प्रशिक्षित जनशक्ति को सहकारी समितियों में शामिल किया जा सकता है और इससे नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद भी समाप्त होगा।
उन्होंने कहा कि कानूनों में भी बदलाव की जरूरत है, लेकिन साथ ही उन्होंने सहकारी समितियों के बीच स्व-नियमन पर जोर दिया।
शाह ने कहा कि सरकार ने हाल ही में 2,516 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सभी कार्यात्मक 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कंप्यूटरीकरण का फैसला किया है। इस कदम से लेखांकन और बही-खाता पद्धति में पारदर्शिता आएगी।
भारत में 8.5 लाख सहकारी समितियां हैं और लगभग 12 करोड़ लोग इस क्षेत्र से सीधे जुड़े हुए हैं।
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