देश की खबरें | भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने शहीदों की वीरांगनाओं की मांगों पर राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग की
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजस्थान इकाई के चार सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात कर वर्ष 2019 में पुलवामा आतंकी हमले में सर्वोच्च बलिदान देने वाले तीन सुरक्षाकर्मियों की वीरांगनाओं की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की।
जयपुर, आठ मार्च भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजस्थान इकाई के चार सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात कर वर्ष 2019 में पुलवामा आतंकी हमले में सर्वोच्च बलिदान देने वाले तीन सुरक्षाकर्मियों की वीरांगनाओं की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की।
विधानसभा में भाजपा के उपनेता राजेंद्र राठौड़ की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा है।
राठौड़ ने ट्विटर पर कहा ‘‘आज राजभवन पहुंचकर राजस्थान के महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन सौंपकर दिनांक 28 फरवरी 2023 से धरने पर बैठी वीरांगनाओं की मांगों को अति शीघ्र पूरा किये जाने के संबंध में हस्तक्षेप करने की मांग की।”
उन्होंने कहा, “इस दौरान उनके साथ पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, सांगानेर विधायक अशोक लाहोटी तथा भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और चौमू विधायक रामलाल शर्मा मौजूद रहे।”
इस बीच राजभवन ने एक बयान में कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल ने मिश्र से राजभवन में मुलाकार कर उन्हें पुलवामा हमले में सर्वोच्च बलिदान देने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के तीन कर्मियों के परिजनों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा।
राज्यपाल मिश्र ने कहा, “देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सपूतों के परिवारों की देखभाल हम सबका दायित्व है।”
बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने ज्ञापन पर युक्तियुक्त विचार करते हुए त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है।
वीरांगनाओं के साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के आवास के बाहर धरना दे रहे भाजपा के राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी मांगों पर सवाल खड़े करने की बजाय सकारात्मक रुख दिखाने का बुधवार को आग्रह किया।
उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मंगलवार को राजस्थान के दो मंत्री- प्रतापसिंह खाचरियावास और शकुंतला रावत धरना दे रही वीरांगनाओं से मिलने आए और दोनों ने मांगों को जायज माना और समाधान का आश्वासन दिया।
मीणा ने कहा कि उम्मीद थी कि सरकार की ओर से मांगें मानने की घोषणा होगी, लेकिन इतने में ही मुख्यमंत्री का बयान आ गया।
उन्होंने कहा, “सरकार के दो मंत्री जिन मांगों को जायज मान रहे थे और समाधान का आश्वासन देकर गए थे, मुख्यमंत्री जी ने उन वीरांगनाओं की उन मांगों पर ही सवाल खड़े कर दिए। जब मुख्यमंत्री जी को यही करना था तो दो मंत्री वीरांगनाओं से वार्ता करने क्यों आए थे?”
भाजपा सांसद ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत को बेवजह की बयानबाजी करने के बजाय एक बार वीरांगनाओं से मिलना चाहिए।
वीरांगनाओं की मांगों में सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों की प्रतिमा स्थापित करना, उनके रिश्तेदारों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देना और उनके गांवों में सड़कों का निर्माण कराना शामिल है।
मंगलवार देर रात गहलोत ने ट्विटर पर एक बयान पोस्ट कर कहा था, ‘‘भाजपा के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं। यह कभी भी राजस्थान की परंपरा नहीं रही है। मैं इसकी निंदा करता हूं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा था, “शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है? जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा? उनका हक मारना उचित है क्या?”
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