दूरसंचार कंपनियों को वितरकों के मुनाफे पर टीडीएस काटने की जरूरत नहींः उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि दूरसंचार कंपनियां ग्राहकों को प्री-पेड कूपन और सिम कार्ड बेचने से वितरकों या फ्रेंचाइजी को हुए लाभ पर ‘स्रोत पर कर कटौती’ (टीडीएस) के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं.
नयी दिल्ली, 29 फरवरी : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि दूरसंचार कंपनियां ग्राहकों को प्री-पेड कूपन और सिम कार्ड बेचने से वितरकों या फ्रेंचाइजी को हुए लाभ पर ‘स्रोत पर कर कटौती’ (टीडीएस) के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने बुधवार को आयकर विभाग और दूरसंचार सेवा प्रदाता भारती एयरटेल की तरफ से दायर अपीलों पर यह अहम फैसला सुनाया. यह मामला उपभोक्ताओं को प्री-पेड कूपन और सिम कार्ड बेचने से भारती एयरटेल के वितरकों या फ्रेंचाइजी को हुई आय पर आयकर अधिनियम, 19611 की धारा 194-एच के तहत टीडीएस की देनदारी से संबंधित है.
आयकर विभाग ने दावा किया था कि वितरकों द्वारा अर्जित मुनाफा, ‘‘करदाता और फ्रेंचाइजी/वितरकों के बीच फ्रेंचाइजी/वितरण समझौते के तहत निर्धारिती (दूरसंचार फर्म) द्वारा एक एजेंट को देय कमीशन है.’’ न्यायमूर्ति खन्ना ने पीठ की तरफ से फैसला लिखते हुए कहा, ‘‘हमारा मत है कि करदाता (दूरसंचार कंपनियां) वितरकों/फ्रेंचाइजी द्वारा तीसरे पक्ष/ग्राहकों से प्राप्त भुगतान में आय/लाभ पर टीडीएस के लिए कानूनी दायित्व के तहत नहीं होंगी.’ यह भी पढ़ें : कर्नाटक : विधान परिषद से पास होने में विफल रहा मंदिर विधेयक विधानसभा में पुन: पारित
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इसके साथ ही पीठ ने कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 194-एच इस मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों पर लागू नहीं होती है. यह धारा स्रोत पर कर कटौती को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाती है. आयकर विभाग ने राजस्थान, कर्नाटक और बंबई उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपीलें दायर की थी. उच्च न्यायालयों ने कहा था कि आयकर अधिनियम की यह धारा विचाराधीन परिस्थितियों पर लागू नहीं होती है.