देश की खबरें | तेलंगाना सरकार ने बीआरएस विधायकों की 'खरीद-फरोख्त' मामले की सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती दी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. तेलंगाना सरकार ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के प्रयासों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच के उच्च न्यायालय के आदेश को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी और कहा कि ‘खरीद-फरोख्त’ का आरोप खुद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ है और केंद्रीय जांच एजेंसियां उसके नियंत्रण में होती हैं।
नयी दिल्ली, 17 फरवरी तेलंगाना सरकार ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के प्रयासों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच के उच्च न्यायालय के आदेश को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी और कहा कि ‘खरीद-फरोख्त’ का आरोप खुद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ है और केंद्रीय जांच एजेंसियां उसके नियंत्रण में होती हैं।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई 27 फरवरी के लिए स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने सुनवाई टालने से पहले वरिष्ठ अधिवक्ताओं- दुष्यंत दवे और महेश जेठमलानी- की संक्षिप्त दलीलें सुनीं, जो क्रमशः राज्य सरकार और भाजपा की ओर से पेश हुए थे।
दवे ने उच्च न्यायालय के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा, "जब आरोप भाजपा के खिलाफ ही है तो सीबीआई कैसे जांच कर सकती है? केंद्र सरकार खुद सीबीआई को नियंत्रित करती है।"
दूसरी ओर, जेठमलानी ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं इसके लिए दोषी हैं, क्योंकि उन्होंने मामले में पुलिस जांच का विवरण मीडिया को जारी किया था, जिससे जांच की स्वतंत्रता पर संदेह पैदा हुआ।
दवे ने कहा, "विपक्षी नेताओं के खिलाफ हर सीबीआई, ईडी की जांच में मीडिया को सूचना लीक की जाती है।"
भाजपा के वकील जेठमलानी ने कहा, ‘‘दो गलत चीजें किसी एक चीज को सही नहीं ठहरा सकती हैं।’’
दवे ने कहा कि यह लोकतंत्र की जड़ों को प्रभावित करने वाला एक गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका "एकमात्र संस्था है जो लोकतंत्र को बचा सकती है"।
राज्य सरकार ने सात फरवरी को सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील पर उच्चतम न्यायालय में तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
दवे ने कहा कि "राज्य सरकार को अस्थिर करने" से संबंधित एक प्राथमिकी है। उन्होंने कहा था कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था और एक बड़ी पीठ ने यह कहते हुए इसे बरकरार रखा था कि राज्य सरकार की अपील सुनवाई योग्य नहीं है।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 26 दिसंबर 2022 को जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।
उच्च न्यायालय ने एसआईटी गठित करने के राज्य सरकार के आदेश और उसके द्वारा की गई जांच को भी रद्द कर दिया था, साथ ही प्रारंभिक चरणों में एक सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा की गई जांच को भी रद्द कर दिया था।
इसके बाद, राज्य सरकार और अन्य ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ रिट अपील दायर की थी।
चार विधायकों में से एक बीआरएस विधायक पायलट रोहित रेड्डी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद इस मामले में 26 अक्टूबर, 2022 को रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंदू कुमार और सिम्हायाजी स्वामी को आरोपियों के रूप में नामजद किया गया था।
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