नयी दिल्ली, 13 फरवरी टाटा मोटर्स को उम्मीद है कि अगले तीन से पांच साल में उसकी कुल बिक्री में सीएनजी कारों का हिस्सा बढ़कर 20 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी का मानना है कि अधिक से अधिक संख्या में प्रवेश स्तर की पेट्रोल और डीजल कारों के ग्राहक आगे चलकर सीएनजी वाहन खरीदना पसंद करेंगे।
मुंबई की वाहन कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन खंड को लेकर भी उत्साहित है। कंपनी का मानना है कि अगले कुछ साल में उसकी बिक्री का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों का होगा।
टाटा मोटर्स के अध्यक्ष-यात्री वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन शैलेश चंद्रा ने विश्लेषकों से बातचीत में कहा,‘‘मुझे लगता है कि सीएनजी एक ऐसा खंड है जो आने वाले वर्षों में बढ़ने वाला है। यह पेट्रोल की जगह लेगा। पेट्रोल की बढ़ती लागत की वजह से सीएनजी वाहनों की मांग बढ़ेगी।’’
चंद्रा ने कहा, ‘‘इसलिए कंपनी इसका मजबूत भविष्य देखती है। यही वजह है कि आज देश में सीएनजी स्टेशनों का तेजी से विस्तार हो रहा है। इसकी पहुंच बढ़ रही है।’’
चंद्रा ने कहा कि वर्तमान में कंपनी के पोर्टफोलियो में डीजल कारों की बिक्री का हिस्सा करीब 15 प्रतिशत है, जबकि पेट्रोल और सीएनजी वाहनों का हिस्सा क्रमश: 66 प्रतिशत और 12 प्रतिशत है। शेष हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों का है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगले तीन से पांच वर्षों में पेट्रोल संभवतः लगभग 50 प्रतिशत के स्तर पर आ जाएगा, सीएनजी 20 प्रतिशत तक चला जाएगा..डीजल लगभग 10 प्रतिशत तक नीचे आ जाएगा। ईवी के लिए हमारा लक्ष्य 20 प्रतिशत का है।’’
उन्होंने कहा कि कंपनी सीएनजी मॉडलों की श्रृंखला के विस्तार के लिए हैचबैक और सेडान खंड पर ध्यान दे रही है।
चंद्रा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि एसयूवी में सीएनजी के लिए मुश्किल होगी। ऐसे में इस खंड में सीएनजी की पहुंच सीमित रहेगी। लेकिन यदि सीएनजी और पेट्रोल के अर्थशास्त्र के हिसाब से देखा जाए, तो एसयूवी खंड में भी इसकी कुछ पहुंच होगी। लेकिन यह प्रवेश स्तर जैसी नहीं होगी।’
यह पूछे जाने पर कि क्या कंपनी हाइब्रिड कारों पर भी ध्यान देगी, चंद्रा ने कहा कि हमने ईवी के बारे में काफी सोच-विचार के बाद निर्णय लिया है। ‘‘कुछ कंपनियों ने हाइब्रिड को लेकर विचार बनाया है और वे ऐसे वाहन उपलब्ध करा रही हैं। वे ऐसा कॉरपोरेट औसत ईंधन अर्थव्यवस्था (सीएएफई) की जरूरत को पूरा करने के लिए कर रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि हम ऐसी प्रौद्योगिकियों पर ध्यान दे रहे हैं जिससे सीएएफई की जरूरत को पूरा कर सकें।
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