जयपुर, 29 अप्रैल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के उस दबाव को शनिवार को एक तरह से दरकिनार कर दिया कि सितंबर में गहलोत खेमे के विधायकों की समानांतर बैठक पार्टी आलाकमान के खिलाफ बगावत थी और उसमें कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 'हम नेताओं को अतीत से सबक लेकर भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।'
वहीं कांग्रेस की राजस्थान इकाई में जारी 'खींचतान' के बीच पायलट ने कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रतिनिधियों और अन्य नेताओं से आह्वान किया कि 'वे धरातल पर जाएं, लोगों से बात करें, कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझें।'
गौरतलब है कि पायलट ने पिछले साल 25 सितंबर को पार्टी विधायक दल की बैठक में न आकर मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक करके पार्टी आलाकमान के निर्देशों की कथित अवहेलना करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर हाल ही में सवाल उठाया था।
गहलोत समर्थक इन विधायकों ने इस बैठक के बाद पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था, तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी।
पायलट के आरोप के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के राजस्थान प्रभारी रंधावा ने जुलाई 2020 में पायलट खेमे द्वारा बगावत का उल्लेख किया।
कांग्रेस महासचिव ने यहां संवाददाताओं से कहा, "कुछ लोग कहते हैं कि कोरोना से पहले बगावत हुई थी। मैं इन बातों को या अतीत को ज्यादा लेकर नहीं चलना चाहता। मैं भविष्य की बात कर रहा हूं।'
रंधावा ने कहा, ‘‘हम नेताओं को भविष्य के बारे में सोचना चाहिए और साथ ही साथ अतीत से सबक भी लेना चाहिए ताकि दोबारा ऐसी गलती न हो।" इसके साथ ही रंधावा ने कहा कि राज्य में पार्टी एकजुट है।
जुलाई 2020 में, पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके कारण राज्य में एक महीने तक राजनीतिक संकट बना रहा। यह संकट पार्टी आलाकमान द्वारा हस्तक्षेप के बाद समाप्त हुआ और पायलट को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर किया जाएगा।
राज्य में दिसंबर 2018 में राजस्थान कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर गहलोत और पायलट के बीच अनबन चल रही है।
राजस्थान कांग्रेस के नेताओं में अनेक बैठकों के बीच यह अटकलें लग रही थीं कि पार्टी इकाई में गुटबाजी को खत्म करने के लिए राज्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने शनिवार को यहां मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठक कीं और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से भी मुलाकात की। पायलट ने भी शनिवार को जोशी के साथ एक "अनौपचारिक" बैठक की।
विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद रंधावा से साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘अगर सभी कहेंगे तो (मंत्रिमंडल में फेरबदल) करेंगे, लेकिन मेरे ख्याल में अभी हमारा ऐसा कोई विचार नहीं है।’’
इससे पहले रंधावा ने यहां मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठक की। उन्होंने कहा कि वह मंत्रियों से फीडबैक ले रहे हैं और उनसे पार्टी संगठन को मजबूत करने को कह रहे हैं।
रंधावा ने कहा, ‘‘मैंने मंत्रियों से कहा है कि केवल ऐसा ही नहीं होना चाहिए कि आप सरकार के लिए काम कर रहे हो। आपको साथ-साथ संगठन के लिए भी काम करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि चुनाव में जाते हैं तो संगठन व सरकार दोनों की बात होती है इसलिए वह मंत्रियों से संगठन को मजबूत करने के लिए बात कर रहे हैं।
पार्टी सूत्रों ने यह भी कहा कि आलाकमान फिलहाल कर्नाटक चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। रंधावा से पहले पायलट ने जोशी से भी मुलाकात की थी और इसे अनौपचारिक मुलाकात बताया था।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने हाल ही में तीन सचिवों अमृता धवन, वीरेंद्र सिंह राठौड़ व काजी मुहम्मद निजामुद्दीन को राजस्थान में पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ बतौर सह प्रभारी संबद्ध किया है।
पायलट ने इस बारे में कहा, ‘‘समय-समय पर संगठन में बदलाव होते रहते हैं। (विधानसभा) चुनाव सर पर हैं, छह महीने दूर हैं इसलिए लोगों को जिम्मेदारियां दी गई हैं। मुझे लगता है कि इसका अच्छा संकेत जाएगा। लेकिन मैं चाहता हूं कि सब लोग जो एआईसीसी के प्रतिनिधि हैं और जो संगठन का काम संभाल रहे हैं वे धरातल पर जाएं, लोगों से बात करें, कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझें।’’
पायलट ने कहा, ‘‘मैंने भी सुझाव दिए हैं एआईसीसी में, मुझे लगता है कि उन पर अमल करना चाहिए।’’
पायलट ने 23 अप्रैल कहा था, "यह सही है कि 25 सितंबर को हुई घटना तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेशों का खुला उल्लंघन था। (पार्टी अध्यक्ष) मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन का खुलेआम अपमान किया गया था। उन (विधायकों) के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई । यह प्रश्न है जिसका उत्तर पार्टी ही दे सकती है।”
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