नयी दिल्ली, तीन मई चीनी उद्योग के प्रमुख संगठन, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने सोमवार को कहा कि विपणन सत्र 2020-21 के अप्रैल महीने तक देश का चीनी उत्पादन दो करोड़ 99.1 लाख टन तक पहुंच गया है।
इस्मा ने कहा कि चीनी निर्यात के संबंध में, चीनी मिलों ने अब तक 54 से 55 लाख टन के निर्यात के लिए अनुबंध किया है। इसमें से 35 लाख टन का निर्यात किया गया है, जबकि इस महीने तक 10 लाख टन का और निर्यात किये जाने की उम्मीद है।
एथेनॉल के बारे में इस्मा ने कहा कि चीनी मिलों ने इस साल के 19 अप्रैल तक तेल विपणन कंपनियों को 117.72 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की है, जबकि कुल अनुबंधित मात्रा 302.53 करोड़ लीटर है।
अद्यतन उत्पादन के आंकड़े जारी करते हुए, इस्मा ने कहा कि देश भर की चीनी मिलों ने वर्ष 2020-21 के विपणन सत्र (अक्टूबर-सितंबर) की अक्टूबर-अप्रैल अवधि के दौरान दो करोड़ 99.1 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।
इस्मा ने विपणन सत्र 2020-21 में चीनी उत्पादन 3.02 करोड़ टन होने का अनुमान जताया है, जो पिछले सत्र के दो करोड़ 74.2 लाख टन के उत्पादन से अधिक है।
इस्मा के आंकड़ों के अनुसार, देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन इस साल अप्रैल तक एक करोड़ 5.6 लाख टन से थोड़ा कम है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह उत्पादन एक करोड़ 16.5 लाख टन था।
जबकि देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक महाराष्ट्र में उत्पादन पिछले साल के 60.9 लाख टन से बढ़कर इस बार की समान अवधि में एक करोड़ 5.6 लाख टन हो गया।
इसी तरह, देश के तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में चीनी उत्पादन इस साल अप्रैल तक बढ़कर 41.6 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 33.8 लाख टन था।
इन प्रमुख उत्पादक राज्यों की अधिकतर चीनी मिलों द्वारा अगले एक पखवाड़े में अपना परिचालन बंद करने की आशंका है। कर्नाटक में, जुलाई के शुरू होने वाले विशेष सत्र में कुछ चीनी मिलें काम कर सकती हैं।
बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान और ओडिशा ने पहले ही पेराई कार्य बंद कर दिया है, जबकि आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में एक-एक मिल चल रही है।
चीनी निर्यात के बारे में, इस्मा ने कहा कि इस वर्ष के दौरान अनिवार्य निर्यात के लिए और घरेलू बिक्री के लिए आवंटित चीनी के कोटे को अदला बदली करने के सरकार के निर्णय की सकारात्मक प्रतिक्रिया हुई है।
एथेनॉल के बारे में, देश में औसतन 7.36 प्रतिशत पेट्रोल के साथ एथेनॉल सम्मिश्रण के स्तर को प्राप्त कर लिया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे 11 राज्यों ने 10 प्रतिशत तक उच्च सम्मिश्रण किया है।
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