तमिलनाडु, 10 अक्टूबर तमिलनाडु सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि मुल्लापेरियार बांध में जल स्तर सहित सुरक्षा एवं अन्य पहलुओं की निगरानी के लिये गठित उप-समिति अपना काम उपयुक्त रूप से कर रही है।
शीर्ष न्यायालय ने जोई जोसेफ द्वारा दायर एक याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था।
याचिका में यह आशंका जताई गई थी कि एक सदी से भी पुराने बांध में सुरक्षा की निगरानी का अभाव है।
तमिलनाडु सरकार ने अधिवक्ता एम वाई खन्ना के मार्फत दाखिल हलफनामे में कहा कि याचिका में लगाये गये आरोप पूरी तरह से गलत हैं।
हलफनामे में कहा गया है कि उप-समिति की अध्यक्षता केंद्रीय जल आयोग के कार्यकारी अभियंता कर रहे हैं और इसमें केरल तथा तमिलनाडु से सदस्य हैं।
उप-समिति बांध का मुआयना करती है, आंकड़े एकत्र करती है और ब्योरा निरीक्षण समिति को देती है।
हलफनामे में कहा गया है कि तमिलनाडु ने यह सुनिश्चित किया है कि बगैर चेतावनी के बांध से पानी नहीं छोड़ा जाएगा और बांध से अतिरिक्त पानी बहाने के लिये बनाये गये रास्ते से अचानक पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। पानी छोड़े जाने में अंतराल रखा जा रहा है ताकि बांध के निचले इलाके में रहने वाले लोगों को कोई समस्या पेश नहीं आये।
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने 2006 में तमिलनाडु को बांध में जल भंडारण का स्तर 142 फुट तक बढ़ाने की अनुमति दी थी।
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