अमेठी (उप्र), 26 सितंबर: अमेठी में संजय गांधी अस्पताल को बंद करने के विरोध में सोमवार को शुरू हुए कांग्रेस के आंदोलन में मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) भी शामिल हो गई. प्रशासनिक फैसले के विरोध में अस्पताल के मुख्य द्वार पर कर्मचारी और डॉक्टर भी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। वहीं दूसरी तरफ एक गर्भवती महिला की मौत के आरोप में अमेठी के एक अन्य निजी अस्पताल का भी लाइसेंस सोमवार को निलंबित कर दिया गया. लखनऊ में केंद्रीय मंत्री और अमेठी से भाजपा की सांसद स्मृति ईरानी ने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन के मामले को लेकर कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि मृत महिला के परिवार को सहारा देने की बजाय पार्टी अपना मुनाफा बंद होने पर "रो रही" है.
कांग्रेस और सपा का धरना जहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय पर हो रहा है, वहीं अस्पताल कर्मचारियों का धरना सीएमओ कार्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर अस्पताल के गेट पर जारी है. संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस 17 सितंबर को एक महिला मरीज की मौत के बाद निलंबित कर दिया गया था, जिसे 14 सितंबर को एक छोटे से ऑपरेशन के लिए वहां भर्ती कराया गया था. उसके पति ने दावा किया कि उसे एनेस्थीसिया की अधिक मात्रा दी गई थी, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और अंततः उसकी मृत्यु हो गई.
सोमवार शाम इसी तरह के एक मामले में गर्भवती महिला की मौत के बाद जनता अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया और उसकी ओपीडी सेवाएं भी बंद कर दी गईं. मुख्य चिकित्सा अधिकारी अंशुमान सिंह ने कहा कि मृतक महिला के ससुर राम कुमार पांडे ने पुलिस और स्वास्थ्य विभाग में शिकायत दर्ज कराई है और कथित लापरवाही के लिए जनता अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
अतिरिक्त सीएमओ राम प्रसाद के नेतृत्व में तीन डॉक्टरों की टीम ने जांच की थी जिसमें अस्पताल की लापरवाही पाई गई और उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया. पांडे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उनकी बहू सुमन का 15 सितंबर को प्रसव होने वाला था, जिसके लिए उसे जनता अस्पताल ले जाया गया था. जांच के दौरान मौजूद एक डॉक्टर ने ‘सिजेरियन’ ऑपरेशन की सलाह दी और उसी दिन मेरी बहू का ऑपरेशन किया गया, हालांकि, करीब डेढ़ घंटे बाद उसकी हालत बिगड़ने पर उसे लखनऊ के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया.
पांडेय ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया, वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने हमें बताया कि सुमन की काफी समय पहले मौत हो चुकी है.
कांग्रेस के पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) दीपक सिंह ने सीएमओ कार्यालय पर अपने "सत्याग्रह" के बारे में कहा कि यह तब तक जारी रहेगा जब तक संजय गांधी अस्पताल में सेवाएं फिर से शुरू नहीं हो जातीं और जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं में सुधार नहीं हो जाता.
इस बीच मंगलवार को समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष राम उदित यादव सीएमओ कार्यालय पहुंचे और कांग्रेस नेताओँ व कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठ गये. उन्होंने कहा कि यह जनहित का मुद्दा है, सपा हमेशा अपनी आवाज उठाती है और आम आदमी के हितों के साथ खड़ी है. फैसले का विरोध करते हुए 400 से अधिक कर्मचारियों और डॉक्टरों ने अस्पताल गेट पर अनिश्चितकालीन आंदोलन भी शुरू कर दिया. संजय गांधी अस्पताल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा, ''राजनीतिक द्वेष के कारण अस्पताल को बंद कर दिया गया है। अस्पताल में 400 से अधिक कर्मचारी और डॉक्टर काम करते हैं, अस्पताल बंद होने से वे सभी बेरोजगार हो गये.''
आजीविका के संकट का सामना करना पड़ रहा है.” सिंह ने बताया कि इस अस्पताल में प्रतिदिन करीब 800 मरीज इलाज के लिए आते थे. गौरतलब है कि अमेठी के राम शाहपुर की महिला मरीज दिव्या शुक्ला 14 सितंबर को पथरी के ऑपरेशन के लिए संजय गांधी अस्पताल में भर्ती थी और उसकी मौत के बाद अस्पताल विवादों में घिर गया. दिव्या के पति अनुज शुक्ला ने दावा किया कि उसकी पत्नी को अधिक मात्रा में एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) दिया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ी और अंततः मौत हो गई. इस मामले में
प्राथमिकी भी दर्ज हुई.
दिव्या की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 17 सितंबर को अस्पताल के पंजीकरण को निलंबित कर दिया. अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने को लेकर भाजपा सांसद वरुण गांधी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने क्रमश: उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अलग-अलग पत्र लिखकर फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था.
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