विदेश की खबरें | सुरक्षा परिषद में सुधार संबंधी चर्चा को कुछ देशों ने ‘बंधक’ बना रखा है : भारत
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. भारत ने कहा है कि सुरक्षा परिषद में सुधार की अंतर-सरकारी चर्चा को कुछ देशों ने बंधक बना रखा है और वे इसका इस्तेमाल खुद को छिपाने के लिए ‘‘सुविधाजनक परदे’’ के रूप में कर रहे हैं क्योंकि ये देश संयुक्त राष्ट्र की सर्वाधिक शक्तिशाली इकाई में कोई परिवर्तन नहीं देखना चाहते।
संयुक्त राष्ट्र, एक सितंबर भारत ने कहा है कि सुरक्षा परिषद में सुधार की अंतर-सरकारी चर्चा को कुछ देशों ने बंधक बना रखा है और वे इसका इस्तेमाल खुद को छिपाने के लिए ‘‘सुविधाजनक परदे’’ के रूप में कर रहे हैं क्योंकि ये देश संयुक्त राष्ट्र की सर्वाधिक शक्तिशाली इकाई में कोई परिवर्तन नहीं देखना चाहते।
इसने मांग की कि लंबे समय से लंबित सुधारों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वास्तविक कार्रवाई की जानी चाहिए।
यह भी पढ़े | अमेरिका के जलाशय में डूबने से भारतीय छात्र की मौत.
भारत ने यह भी रेखांकित किया कि वह यह देखने के लिए कदम उठाएगा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के अगले सत्र में उद्देश्य को किस तरह प्राप्त किया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप-स्थायी प्रतिनिधि राजदूत के नागराज नायडू ने सोमवार को महासभा के 74वें सत्र के अध्यक्ष तिज्जानी मुहम्मद बंदे को पत्र लिखा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार संबंधी अंतर-सरकारी चर्चा को महासभा के इस महीने शुरू हो रहे अगले सत्र में टालने के निर्णय पर नयी दिल्ली की ओर से घोर निराशा व्यक्त की।
यह भी पढ़े | England: कोविड-19 के चलते महीनों बाद इंग्लैंड में दोबारा खुले स्कूल, कॉलेज.
भारत ने कहा है कि चर्चा टालने के फैसले में यह पूरी तरह स्पष्ट होना चाहिए कि इस साल पूर्व में हुईं दो अंतर-सरकारी वार्ताओं में असल में क्या प्रगति हुई।
नयी दिल्ली ने पिछले एक दशक में सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर अंतर-सरकारी चर्चाओं में व्यावहारिक तौर पर कोई प्रगति न होने की निन्दा की।
नायडू ने लिखा, ‘‘एक दशक से अधिक समय बाद भी कोई वास्तविक प्रगति नहीं हुई है। असल में, अंतर-सरकारी प्रक्रिया उन देशों के लिए छिपने का सुविधाजनक पर्दा बन गई है जो सुरक्षा परिषद में कोई सुधार नहीं देखना चाहते।’’
पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अंतर-सरकारी प्रक्रिया को बंधक न बनाया जाए, खासकर उनके द्वारा जो सुरक्षा परिषद में कोई सुधार नहीं चाहते। यदि यह होता है, और पहले से जो हो रहा है, अगर वही दिखता है तो सुधार चाहने वाले देश उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अंतर-सरकारी चर्चा से बाहर अन्य तरीके देखने पर विवश होंगे।’’
नायडू ने बहुपक्षवाद सुधार के प्रति भारत की ‘‘बाध्यकारी प्रतिबद्धता’’ को रेखांकित किया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र में इसे मजबूत करने के लिए नयी दिल्ली विस्तारित और सुधारयुक्त सुरक्षा परिषद के वास्ते वास्तविक कार्रवाई के लिए अपना समर्थन मजबूती से जारी रखेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह देखने के लिए भी कदम उठाएंगे कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में हम इन उद्देश्यों को किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं।’’
नायडू ने मोहम्मद बंदे को जी4-ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत की ओर से भी चीजों को आगे टालने संबंधी निर्णय पर अलग से भी पत्र लिखा और समान चिंता व्यक्त की।
अगले साल एक जनवरी को भारत सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल के कार्यकाल के लिए कार्यभार संभालेगा।
भारत सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का भी प्रबल दावेदार है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)