जरुरी जानकारी | सस्ते आयात से घरेलू तेल तिलहनों में नरमी, खाद्य तेल उद्योग दबाव में

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. देश में सस्ते खाद्यतेलों का आयात बढ़ने से सोमवार को देशी तेल तिलहनों के भाव दबाव में बने रहे। दूसरी ओर लॉकडाऊन में ढील के बाद होटलों और छोटे खान पान की दुकानों की मांग बढ़ने से पाम तेल कीमतों में सुधार रहा जबकि ब्लेंडिंग के लिए सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार दर्ज हुआ।

नयी दिल्ली, 20 जुलाई देश में सस्ते खाद्यतेलों का आयात बढ़ने से सोमवार को देशी तेल तिलहनों के भाव दबाव में बने रहे। दूसरी ओर लॉकडाऊन में ढील के बाद होटलों और छोटे खान पान की दुकानों की मांग बढ़ने से पाम तेल कीमतों में सुधार रहा जबकि ब्लेंडिंग के लिए सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार दर्ज हुआ।

तेल उद्योग के कारोबारी सूत्रों ने कहा कि पाम, सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते तेलों का आयात बढ़ना जारी रहने से घरेलू तेल उद्योग की हालत खस्ता है। सस्ते आयात की वजह से घरेलू तेल की खपत कम है और घरेलू तेल मिलें अपनी क्षमता के लगभग 25 प्रतिशत का ही उपयोग कर पा रही हैं। दूसरी ओर विदेशों में पाम तेल और सोयाबीन डीगम का भारी स्टॉक होने के बावजूद वहां की तेल मिलें पूरे जोर शोर से काम कर रही हैं। पाम तेल के सबसे बड़े उपभोक्ता देश, भारत के अलावा कई अन्य देशों में सस्ते तेलों की आयात मांग बढ़ रही है।

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सूत्रों ने कहा कि अगले महीने के दौरान विदेशों में पाम और सोयाबीन डीगम जैसे तेलों के उत्पादन में भारी वृद्धि होने की संभावना है और वहां इन तेलों के भारी मात्रा में स्टॉक पहले से जमा हैं। देश में भी सोयाबीन का उत्पादन काफी बढ़ने की संभावना है। यहां नाफेड और किसानों के पास सरसों और मूंगफली के काफी स्टॉक पहले के बचे हैं और नये फसल के आने के बाद इन तेलों को खपाने की दिक्कत और बढ़ने ही वाली है।

उन्होंने कहा कि ये अजीब विरोधाभासी स्थिति है कि विदेशों में तेलों की बहुतायत होने के बावजूद वहां की तेल मिलें पूरी क्षमता का उपयोग कर तेल उत्पादन बढ़ा रही हैं और दूसरी ओर अपनी जरुरत के 70 प्रतिशत आयात पर निर्भर रहने वाले देश भारत में, तिलहन उपलब्ध होने के बावजूद तेल मिलें पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रही हैं। ऐसी स्थिति तक है जबकि घरेलू मांग, हल्के देशी तेलों की है। मांग होने के बावजूद वायदा और हाजिर मंडियों में सरसों, सूरजमुखी, सोयाबीन दाना जैसे तिलहनों के भाव लागत से भी कम हैं जिससे तिलहन उत्पादक किसान, तेल उद्योग और आम उपभोक्ता परेशान हैं।

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उन्होंने कहा कि पिछले साल 20 प्रतिशत कम पैदावार होने के बावजूद किसानों के पास सोयाबीन का 20 से 25 प्रतिशत ऊपज बची हुई। इसके अलावा गुजरात में किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास मूंगफली का भी काफी स्टॉक बचा हुआ है। किसानों और नाफेड के पास सरसों का लाखों टन स्टॉक भी बचा हुआ है। मजबूरन इन किसानों को अपनी फसल औने पौने दाम पर बेचने को विवश होना पड़ रहा है।

दूसरी ओर ‘ब्लेंडिंग’ के लिए सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार रहा। जबकि सस्ते में बिक्री से बचने के लिए मंडी में कम फसल लाने से सरसों दाना (तिलहन) और सरसों तेल कीमतों के भाव पूर्ववत बने रहे। मांग कमजोर होने से मूंगफली तेल कीमतें भी पूर्ववत रहीं।

सोमवार को बंद भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 4,665- 4,715 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 4,740 - 4,790 रुपये।

वनस्पति घी- 965 - 1,070 रुपये प्रति टिन।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 12,480 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,875 - 1,925 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,540 - 1,680 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,640 - 1,760 रुपये प्रति टिन।

तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,200 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 8,980 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम- 8,050 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 7,350 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 7,800 रुपये।

पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 8,700 रुपये।

पामोलीन कांडला- 7,950 रुपये (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन तिलहन डिलिवरी भाव 3,665- 3,690 लूज में 3,400--3,465 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये

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