जरुरी जानकारी | अब तक 24.9 लाख टन चीनी का निर्यात, अधिकतम निर्यात इंडोनेशिया को: एआईएसटीए

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. चीनी मिलों ने सितंबर में समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष 2020-21 में अब तक देश से 24.9 लाख टन चीनी का निर्यात किया है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा निर्यात इंडोनेशिया को हुआ है। व्यापार संगठन एआईएसटीए ने सोमवार को यह जानकारी दी।

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल चीनी मिलों ने सितंबर में समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष 2020-21 में अब तक देश से 24.9 लाख टन चीनी का निर्यात किया है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा निर्यात इंडोनेशिया को हुआ है। व्यापार संगठन एआईएसटीए ने सोमवार को यह जानकारी दी।

अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) ने एक बयान में कहा कि खाद्य मंत्रालय ने चीनी मिलों को निर्यात के लिए 60 लाख टन का कोटा दिया है जिसमें से मिलों ने 33.3 लाख टन चीनी निर्यात का अनुबंध किया है।

चीनी विपणन वर्ष को समाप्त होने में अभी पांच महीने बाकी रहने के बीच, एसोसिएशन को लगता है कि चीनी मिलों में अपनी निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता है।

चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है।

एआइ्रएसटीए के अनुसार, चीनी मिलों ने एक जनवरी से नौ अप्रैल, 2021 तक कुल 24.9 लाख टन चीनी का निर्यात किया है।

एआईएसटीए के उपाध्यक्ष राहिल शेख ने कहा, ‘‘हम इस साल 60 लाख टन के निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इंडोनेशिया, अफगानिस्तान और श्रीलंका शीर्ष तीन खरीदार देश हैं।’’

उन्होंने कहा कि पिछले साल, ईरान भारतीय चीनी के लिए शीर्ष निर्यात गंतव्य था। इस साल, मुद्रा से जुड़े मुद्दो की वजह से ईरान को निर्यात नहीं किया जा सका।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और श्रीलंका हमारे चीनी के नियमित खरीदार हैं, जबकि इस साल निर्यात के नये गंतव्य के बतौर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जुड़ा है।

एआईएसटीए ने कहा कि अब तक किए गए कुल निर्यात में से, नौ अप्रैल, 2021 तक चीनी मिलों ने इंडोनेशिया को 9,61,594 टन, अफगानिस्तान को 3,08,302 टन और श्रीलंका को 2,46,391 टन चीनी का निर्यात किया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या इस साल निर्यात लक्ष्य पूरा किया जाएगा, शेख ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इस साल कुल हाजिर निर्यात 55 लाख टन तक पहुंच जाएगा। मानसून और लॉकडाउन संबंधी मुद्दों से लगभग पांच लाख टन अगले विपणन वर्ष में बचे स्टॉक के रूप में बेचा जा सकता है। हालांकि, पूरे 60 लाख टन का निर्यात किये जाने को अपेक्षा की गई है।”

राजेश

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