सिंगापुर, 30 जून भारतीय मूल के सिंगापूर के 31 वर्षीय नागरिक को एक पुलिस चौकी बाहर आग लगाने और 16 धमाकों का कारण बनने के जुर्म में बुधवार को साढ़े तीन साल की कैद और नौ बार बेंत से मारने की सज़ा दी गई है। वह सरकार के खिलाफ शिकायतें व्यक्त कराना चाहता था, जिस वजह से उसने ऐसा किया। मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई है।
‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ की खबर के मुताबिक, शिवप्रकाश मेलरावणन ने उत्पात मचाने, आग लगाने और हथियार रखने के आरोपों को पहले स्वीकार किया था।
पिछले साल 13 मार्च को हुई घटना के दौरान कोई जख्मी नहीं हुआ, लेकिन एक जिला अदालत ने इस मामले को सुना कि कि इस घटना की वजह से इलाके और आसपास की गाड़ियों को करीब 20,000 डॉलर का नुकसान हुआ है। अदालत को बताया गया कि शिवप्रकाश अपने सरकार विरोधी विचार व्यक्त करना चाहता था।
उप लोक अभियोजक (डीपीपी) मार्कस फू ने बताया कि शिवप्रकाश की 2009 में सामाजिक मामलों में रूची पैद हुई। उनके मुताबिक, “ बाद के वर्षो में आरोपी के विचार रहे कि सिंगापुर में विभिन्न सरकारी नीतियां अनुचित थीं, संपन्न लोगों की पक्षधर थीं और उसे लगा कि अधिकारी अत्यधिक प्रतिबंधात्मक थे। वक्त के साथ-साथ आरोपी में सिंगापुर की सरकार के खिलाफ गहरी नाराज़गी पैदा हो गई।”
उन्होंने कहा कि उसने पुलिस चौकी को इसलिए चुना, क्योंकि उसके पास ‘मास रैपिड ट्रेन ’ (सबसे) स्टेशन है और उसे लगा कि उसके कृत्य आसानी से राहगीरों का ध्यान अपनी ओर खींच लेंगे। शिवप्रकाश का इरादा पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ करने और वहां पर भीड़ जमा होने पर भाषण देने तथा अपनी गिरफ्तारी देने का था ताकि अदालत में वह अपनी शिकायतें बता सके।
उसने पुलिस चौकी में लगे कांच के पैनल तोड़ने के लिए कुल्हाड़ी का इस्तेमाल किया और आसपास के सात खंभों पर स्प्रे रंग से ‘आईएसआईएस’ (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया) लिख दिया। बहरहाल, खबर के मुताबिक, वह बुधवार को अदालत में सुनवाई के दौरान खामोश बैठा रहा।
डीपीपी ने कहा कि वह निजी तौर पर आतंकी समूह का समर्थन नहीं करता है लेकिन उसने खंभों पर स्प्रे रंग से ‘आईएसआईएस’ इसलिए लिखा क्योंकि इससे डरा पैदा होगा और हलचल मचेगी।
आग को करीब 10 मिनट के बाद बुझा दिया गया और पुलिस ने शिवप्रकाश को गिरफ्तार कर लिया जो पास ही जमीन पर बैठा मिला था।
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