वाशिंगटन, चार मार्च अमेरिका ने बुधवार को कहा कि असैन्य शासन को बहाल करने की शांतिपूर्ण तरीके से मांग कर रहे म्यांमा के लोगों के प्रति बरती जा रही भयावह हिंसा को देखकर वह स्तब्ध है और बहुत ही दुखी है।
पिछले महीने म्यांमा में हुए सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। बुधवार को म्यांमा के सुरक्षा बलों ने कम से कम 33 प्रदर्शनकारियों की हत्या कर दी। एक फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद से एक दिन में जान गंवाने वालों की यह सर्वाधिक संख्या है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइज ने कहा, ‘‘जो तस्वीरें और खबरें मिल रही हैं, वे हैरान करने वाली हैं। असैन्य सरकार को बहाल करने का शांतिपूर्ण आह्वान कर रही बर्मा की जनता पर बरसाई जा रही भयावह हिंसा को देखकर हम स्तब्ध और दुखी हैं।’’
अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में प्राइज ने कहा, ‘‘हम सभी देशों का आह्वान करते हैं कि बर्मा की सेना द्वारा अपने ही लोगों के खिलाफ की जा रही बर्बर हिंसा की वे एक होकर निंदा करें और सेना की कार्रवाई पर जवाबदेही की मांग करें जिसके कारण बर्मा में अनेक लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है।’’
एक सवाल के जवाब में प्राइज ने कहा कि पत्रकारों की गिरफ्तारियों और उन पर बढ़ते हमले को लेकर अमेरिका बेहद चिंतित है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सेना से मांग करते हैं कि उन्हें (पत्रकारों को) तुरंत छोड़ा जाए, मीडिया को डराना धमकाना और प्रताड़ित करना बंद किया जाए और अन्यायपूर्ण तरीके से हिरासत में लिए गए लोगों को भी छोड़ा जाए ताकि वे अपने वैश्विक अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने उन सैन्य नेताओं के खिलाफ कई कदम उठाए हैं जो इस तख्तापलट और परिणामस्वरूप हो रही हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में प्राइज ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान महत्वपूर्ण साझेदार हैं और ‘‘हम बर्मा की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई असैन्य सरकार की बहाली के साझा लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करते रहेंगे।’’
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