देश की खबरें | शिवसेना ने ठाकरे गुट के विधायकों पर न्यायालय के फैसले का स्वागत किया
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मुंबई, 11 जुलाई शिवसेना ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को उद्घव ठाकरे के नेतृत्व वाले पार्टी गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग पर सुनवाई न करने का निर्देश दिया गया है।
दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में शिवसेना के विधान परिषद सदस्य एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल परब ने कहा कि राज्य विधानमंडल ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दाखिल किया था। उनके मुताबिक, हलफनामे में कहा गया था कि विधानसभा का एक नया अध्यक्ष चुन लिया गया है और उसके पास विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी पर सुनवाई करने का अधिकार है।
परब ने कहा, “नए अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में हमें लगा कि हमें इन्साफ मिलने की गुंजाइश बहुत कम है।”
शिवसेना नेता के मुताबिक, “हमने उच्चतम न्यायालय में कहा कि जब तक हमारी तीन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मुद्दे पर फैसला नहीं लिया जाना चाहिए।”
परब के अनुसार, “इसलिए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जब तक अदालत में कोई निर्णय नहीं हो जाता, तब तक अध्यक्ष को कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। इसका मतलब यह है कि अध्यक्ष विधायकों को किसी भी तरह से अयोग्य नहीं ठहरा सकेंगे।”
पिछले हफ्ते महाराष्ट्र विधानमंडल के सचिव ने राज्य के कुल 55 शिवसेना विधायकों में से 53 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इनमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े के 39 और ठाकरे गुट के 14 विधायक शामिल हैं।
ठाकरे गुट के 14 में से एक विधायक संतोष बांगर ने चार जुलाई को राज्य विधानसभा में विश्वास मत पर मतदान के दिन शिंदे गुट का दामन थाम लिया था।
परब ने कहा कि ठाकरे गुट को लगता है कि शिंदे गुट के 39 विधायकों ने शिंदे सरकार के शक्ति परीक्षण और अध्यक्ष नार्वेकर के चुनाव के दौरान पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया।
उन्होंने दावा किया कि ऐसे में अध्यक्ष का चयन अपने आप में गलत है।
शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों के राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने को लेकर ठाकरे गुट ने शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की हैं।
परब ने कहा, “अगर अदालत हमारे पक्ष में फैसला सुनाती है तो शक्ति परीक्षण को अमान्य माना जाएगा।”
ठाकरे गुट ने तीन और चार जुलाई को हुई विधानसभा की कार्यवाही की वैधता को भी चुनौती दी है, जिसके तहत सदन का नया अध्यक्ष चुना गया था और शक्ति परीक्षण में शिंदे के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बहुमत साबित किया था।
ठाकरे गुट ने मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले विधायकों के नए पार्टी सचेतक भरत गोगावले को मान्यता देने के नार्वेकर के फैसले के खिलाफ भी एक याचिका दायर की है।
इससे पहले, ठाकरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने शिंदे और उनके समूह के 15 विधायकों को विधानसभा से निलंबित करने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिनके खिलाफ अयोग्यता से संबंधित याचिकाएं लंबित हैं।
उच्चतम न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ ने 27 जून को शिंदे गुट को अंतरिम राहत देते हुए उनके गुट के 16 शिवसेना विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर जवाब दाखिल करने की समयसीमा 12 जुलाई तक बढ़ा दी थी।
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