विदेश की खबरें | नागासाकी परमाणु बम हमले में बाल-बाल बच गये शिगेमी फुकोहोरी का 93 साल की उम्र में हुआ निधन
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

वह 93 साल के थे।

उराकामी कैथोलिक गिरजाघर ने रविवार को बताया कि फुकोहोरी ने तीन जनवरी को दक्षिण-पश्चिम जापान के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।

वह पिछले साल आखिरी दिन तक इस गिरजाघर में तकरीबन रोजाना प्रार्थना करते थे।

स्थानीय मीडिया ने बताया कि उनकी मृत्यु अधिक उम्र के कारण हुई।

जब अमेरिका ने नौ अगस्त, 1945 को नागासाकी पर बम गिराया था तब फुकोहोरी केवल 14 साल के थे। उस घटना में हजारों लोगों की मौत हो गयी थी।

उससे तीन दिन पहले हिरोशिमा पर परमाणु हमला किया गया था जिसमें 140000 लोगों की मौत हो गयी थी।

परमाणु हमले के कुछ दिनों बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था और फिर द्वितीय विश्वयुद्ध का समापन हुआ था।

फुकाहोरी बम गिराए जाने के स्थान से लगभग तीन किलोमीटर दूर एक शिपयार्ड में काम करते थे। वह सालों तक उस घटना के बारे में बात नहीं कर सके, न केवल उन दर्दनाक यादों के कारण, बल्कि इसलिए भी कि उस समय वह कितने असहाय महसूस करते थे।

करीब 15 साल पहले स्पेन की यात्रा के दौरान एक ऐसे व्यक्ति से मिलने के बाद वह और अधिक मुखर हो गये, जिसने 1937 में स्पेन गृहयुद्ध के दौरान ग्वेर्निका पर बमबारी का अनुभव किया था। वह व्यक्ति भी तब 14 साल का था। आपस में अनुभव साझा करने के बाद फुकाहोरी खुलकर अपनी बात रखने लगे।

फुकाहोरी ने 2019 में जापान के राष्ट्रीय प्रसारक एनएचके से कहा, ‘‘जिस दिन बम गिरा, मैंने मदद के लिए एक आवाज सुनी। जब मैं उसके पास गया और अपना हाथ बढ़ाया, तो (मैंने देखा कि) उस व्यक्ति की त्वचा पिघल गई। मुझे अब भी याद है कि तब कैसा महसूस हुआ था।’’

वह अक्सर यह उम्मीद करते हुए विद्यार्थियों को संबोधित करते थे कि वे ‘शांति की मुहिम को आगे बढ़ायेंगे।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)