जरुरी जानकारी | शाह ने एफसीआई में इक्विटी डालने, 'पीएम विद्यालक्ष्मी' योजना पर मंत्रिमंडल के फैसलों को सराहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कार्यशील पूंजी की आवश्यकता के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में इक्विटी के रूप में 10,700 करोड़ रुपये के निवेश के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी की सराहना की।
नयी दिल्ली, छह नवंबर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कार्यशील पूंजी की आवश्यकता के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में इक्विटी के रूप में 10,700 करोड़ रुपये के निवेश के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी की सराहना की।
उन्होंने कहा कि इस कदम से यह सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) खाद्यान्न की खरीद और भंडारण करने में अधिक सक्षम हो पाएगा, जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने के बेहतर अवसर मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में वित्त वर्ष 2024-25 में कार्यशील पूंजी के लिए एफसीआई में 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी डालने को मंजूरी दी गई।
शाह ने हिंदी में ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मोदी सरकार लगातार किसान हितैषी नीतियों के साथ किसानों को सशक्त बना रही है। आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 में भारतीय खाद्य निगम के लिए 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालने को मंजूरी दी है। इससे एफसीआई खाद्यान्न की खरीद और भंडारण में और अधिक सक्षम हो जाएगी, जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने के बेहतर अवसर मिलेंगे।"
गृह मंत्री ने कहा कि यह खाद्यान्न के वितरण और कीमतों में स्थिरता लाकर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एक अन्य पोस्ट में शाह ने मेधावी छात्रों को मौद्रिक सहायता प्रदान करने के लिए ‘पीएम-विद्यालक्ष्मी’ योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी की सराहना की। इससे वित्तीय बाधाएं छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से नहीं रोक सकेंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘आज केंद्रीय मंत्रिमंडल में ‘पीएम विद्यालक्ष्मी' योजना को मंजूरी दिए जाने पर हमारे युवाओं को बधाई, जिससे उनकी सफलता की राह में एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। गारंटी-मुक्त और गिरवी-मुक्त शैक्षिक ऋण योजना की कल्पना करके, प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी छात्र अपनी वित्तीय स्थिति के कारण शिक्षा से वंचित न रहे।’’
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