सेज निर्यातकों ने घरेलू बाजार में कम आयात शुल्क पर सामान बेचने की छूट की मांग की

सेज निर्यातकों के संगठन ‘एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल फेर सेज एंड ईओयू (ईपीसीईएस)’ के उपाध्यक्ष भुवनेश सेठ ने कहा, ‘‘हमने संकट के इस समय में वाणिज्य मंत्रालय से कम से कम एक साल के लिये घरेलू बाजार में कम आयात शुल्क पर सामान बेचने की छूट देने की मांग की है। इससे सेज इकाइयों को अपनी क्षमता का उपयोग करने तथा कामगारों को नौकरी पर बनाये रखने में मदद मिलेगी।’’

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नयी दिल्ली, 12 अप्रैल विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के निर्यातकों ने लॉकडाउन के कारण विदेशी बाजारों के ऑर्डर रद्द होने का हवाला देकर सरकार से घरेलू बाजार में कम आयात शुल्क पर सामान बेचने की अनुमति देने की सरकार से रविवार को अपील की।

सेज निर्यातकों के संगठन ‘एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल फेर सेज एंड ईओयू (ईपीसीईएस)’ के उपाध्यक्ष भुवनेश सेठ ने कहा, ‘‘हमने संकट के इस समय में वाणिज्य मंत्रालय से कम से कम एक साल के लिये घरेलू बाजार में कम आयात शुल्क पर सामान बेचने की छूट देने की मांग की है। इससे सेज इकाइयों को अपनी क्षमता का उपयोग करने तथा कामगारों को नौकरी पर बनाये रखने में मदद मिलेगी।’’

सेज को सीमा शुल्क प्रावधानों के तहत विदेशी निकाय माना जाता है। इन्हें निर्यात के विशिष्ट क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाता है। घरेलू बाजार में इनके सामान बेचने पर पूरी दरों से आयात शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।

सेठ ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान न्यूनतम कामगारों के साथ परिचालन शुरू करने की मंजूरी की भी मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर निर्यात के ऑर्डर पूरे नहीं किये जा सकेंगे और विदेशी बाजारों में उनकी जगहों पर चीन या किसी अन्य एशियाई देश की कंपनी का कब्जा हो जाएगा।

सेठ ने कहा कि लॉकडाउन तथा भारी स्तर पर ऑर्डर रद्द होने के कारण करीब 50 प्रतिशत तक कामगार बेरोजगार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सेज के समक्ष नकदी की दिक्कतें आ गयी हैं, ऐसे में अप्रैल का वेतन दे पाना संभव नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि निर्यातोन्मुख इकाइयां (ईओयू) तथा सेज इकाइयां 25 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार का अवसर देती हैं। इन्होंने 5.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश आकर्षित किये हैं। इनका देश के निर्यात में 7.87 लाख करोड़ रुपये का योगदान है, जो कि कुल भारतीय निर्यात का एक-तिहाई है।

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