
महाकुंभ नगर (उप्र), 18 फरवरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महाकुंभ को "मृत्यु कुंभ" कहे जाने पर संत समाज ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उनके बयान को सनातन धर्म और महाकुंभ की पवित्रता का अपमान बताते हुए उनसे अपने शब्दों पर खेद प्रकट करने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की है।
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के राष्ट्रीय सचिव महंत जमुना पुरी जी ने कहा कि ममता बनर्जी जिस जिम्मेदार पद पर हैं, वहां से ऐसा बयान देना उन्हें शोभा नहीं देता।
उन्होंने कहा, “प्रयागराज महाकुंभ अमृत पर्व है, जिसकी दिव्यता और भव्यता पूरे विश्व ने देखी है। ममता बनर्जी को महाकुंभ के नाम के साथ ऐसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।”
पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी ने ममता बनर्जी के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल हिंदू सनातनियों के लिए मृत्यु प्रदेश बनता जा रहा है। हजारों सनातनियों का नरसंहार हो रहा है और चुनाव के समय लाखों हिंदुओं को पलायन करना पड़ता है।”
गिरी ने कहा, “ममता बनर्जी को उत्तर प्रदेश की नहीं, अपने प्रदेश की चिंता करनी चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को वैश्विक पहचान दिलाई और भव्य आयोजन से नया इतिहास रचा।”
निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने ममता बनर्जी के बयान को सनातन धर्म का अपमान बताया। दास ने कहा, “प्रयागराज महाकुंभ ने सनातन की दिव्यता को शीर्ष पर स्थापित किया है। ममता बनर्जी महाकुंभ का आकलन नहीं कर सकतीं क्योंकि उन्होंने हमेशा सनातन और उसके प्रतीकों का अपमान किया है। ऐसे बयान देकर वे भी अरविंद केजरीवाल की राह पर चल रही हैं और उनका भी हश्र वही होगा।”
महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज ने कहा, “ममता बनर्जी का बयान सनातन धर्म के खिलाफ उनकी मानसिकता को दर्शाता है। ममता बनर्जी हमेशा सनातन का विरोध करती आई हैं। वह बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाना चाहती हैं।”
अयोध्या हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने ममता बनर्जी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को अपने शब्दों के लिए माफी मांगनी चाहिए।
इसी तरह, अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, “संत समाज ममता बनर्जी के बयान की कड़ी निंदा करता है। महाकुंभ सनातन संस्कृति और श्रद्धा का प्रतीक है।”
स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने कहा, “ममता बनर्जी को स्वयं प्रयागराज महाकुंभ आकर उसका अवलोकन करना चाहिए। जिस महाकुंभ में 50 करोड़ से अधिक सनातनियों ने पुण्य अर्जित कर दिव्य अनुभूति की, उसे मौत का कुंभ कहना अत्यंत निंदनीय है।”
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