मुंबई, चार जनवरी अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया बुधवार को अपने ऐतिहासिक निचले स्तर से उबरता हुआ अंत में 23 पैसे की मजबूती के साथ 82.77 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस तेजी का कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आना है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में डॉलर के कमजोर होने और एशियाई मुद्राओं के मजबूत होने तथा भारतीय रिजर्व बैंक के बाजार में संदिग्ध हस्तक्षेप से रुपये को समर्थन मिला।
हालांकि, विदेशी कोषों की बाजार से निकासी तथा घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी के रुख के कारण रुपये की तेजी पर कुछ अंकुश लग गया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.87 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में 23 पैसे की तेजी के साथ 82.77 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये ने 82.74 प्रति डॉलर के उच्चस्तर और 82.91 के निम्नतम स्तर को छुआ।
मंगलवार को रुपया 22 पैसे की गिरावट के साथ अपने सर्वकालिक निचले स्तर 83 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘भारतीय रुपये में दो दिन से जारी गिरावट थम गई क्योंकि डॉलर इंडेक्स ने मंगलवार के अधिकांश लाभ को गंवा दिया और कच्चा तेल दो प्रतिशत से अधिक गिरकर 80 डॉलर प्रति बैरल रह गया। मजबूत एशियाई मुद्राओं और रुपये के 83 प्रति डॉलर पर पहुंचने के बाद रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से भी रुपये को समर्थन मिला।’’
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.52 प्रतिशत घटकर 103.97 रह गया।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 2.13 प्रतिशत घटकर 80.35 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने बुधवार को 2,620.89 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक (उपाध्यक्ष), जतिन त्रिवेदी ने कहा कि कच्चे तेल की कमजोर कीमत के कारण रुपये में सकारात्मक कारोबार हुआ। नए साल में कच्चे तेल की कीमत सात प्रतिशत घटी है।
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