विदेश की खबरें | नेपाल में आरपीपी का प्रचंड नीत सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

काठमांडू, 26 फरवरी नेपाल में सात पार्टियों के सत्तारूढ़ गठबंधन में एक प्रमुख भागीदार राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (पीपीपी) ने राजनीतिक समीकरण में बदलाव का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।

गठबंधन सरकार का हिस्सा रहे आरपीपी के चार मंत्रियों ने शनिवार को प्रचंड को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इनमें पार्टी के अध्यक्ष और उप प्रधानमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री राजेंद्र लिंगदेन शामिल हैं।

‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के मुताबिक, शनिवार को पार्टी की केंद्रीय कार्यकारी समिति और सांसदों की एक संयुक्त बैठक में प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार और प्रांतीय सरकारों से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया।

आरपीपी प्रवक्ता मोहन कुमार श्रेष्ठ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘राजनीतिक समीकरण में अचानक बदलाव और सत्ताधारी सरकार के भीतर सहयोग को देखते हुए, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने सरकार से हटने का फैसला किया है।’’

पार्टी का मानना है कि हालिया बदलाव अंतर्निहित अस्थिरता के स्पष्ट संकेत हैं, और बदले हुए परिप्रेक्ष्य में पार्टी के लिए सत्ता में बने रहना अनुचित होगा।"

‘काठमांडू पोस्ट’ ने बयान के हवाले से बताया, ‘‘हमने सरकार को दिए गए समर्थन को वापस लेने का फैसला किया है और आज से सरकार हट गए हैं।’’

इसमें कहा गया, ‘‘पार्टी प्रांतीय सरकारों के संदर्भ में भी यही विश्वास रखती है और इसलिए, प्रांतीय सरकारों को दिए गए समर्थन को भी वापस लेने का फैसला किया गया है।’’

आरपीपी 275 सदस्यीय सदन में 14 सीटों के साथ प्रतिनिधि सभा में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी है।

माओवादी सेंटर के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री 'प्रचंड' ने सत्तारूढ़ गठबंधन के बाहर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन करके सत्ताधारी गठबंधन को झटका दिया है।

अगले महीने की शुरुआत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव ने सात दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन के भविष्य पर एक गंभीर सवालिया निशान लगा दिया है।

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