जरुरी जानकारी | सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने जून में खुदरा महंगाई को 5.08 प्रतिशत पर पहुंचाया

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नयी दिल्ली, 12 जुलाई सब्जियों और अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ने से जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.08 प्रतिशत पर पहुंच गई। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी से ही घट रही थी लेकिन जून का महीना एक बार फिर इसमें तेजी लेकर आया।

मई 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत पर थी जबकि जून 2023 में यह 4.87 प्रतिशत रही थी। खुदरा महंगाई का पिछला उच्च स्तर फरवरी में 5.09 प्रतिशत रहा था।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य समूह में शामिल उत्पादों की महंगाई दर जून में बढ़कर 9.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। मई में खाद्य मुद्रास्फीति 8.69 प्रतिशत थी।

भीषण गर्मी से प्रभावित रहे जून के महीने में सब्जियों की कीमतें सालाना आधार पर सबसे अधिक 29.32 प्रतिशत बढ़ गईं। उसके बाद 'दालें और उत्पाद' में मुद्रास्फीति 16.07 प्रतिशत रही।

जून में 'अनाज और उत्पाद' के अलावा फलों के दाम भी एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में महंगे बिके।

एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि जून में ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.66 प्रतिशत रही जबकि शहरी भारत में महंगाई दर 4.39 प्रतिशत रही।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने खुदरा मुद्रास्फीति के इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जून में मुख्य रूप से खाद्य और पेय पदार्थों की कीमतों में आठ प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी। इस दौरान सब्जियों की कीमतों में तेजी से उछाल दर्ज की गई।

हालांकि नायर ने कहा कि खाद्य और पेय पदार्थों को छोड़कर अन्य सभी उप-समूहों में मुद्रास्फीति जून में चार प्रतिशत से से नीचे ही रही।

उन्होंने कहा, "यदि मानसून के बाकी वक्त में बारिश सामान्य रहती है और वर्षा वितरण भी अनुकूल रहता है तो खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण निश्चित रूप से अनुकूल हो जाता है। वैश्विक या घरेलू स्तर पर कोई अन्य झटका नहीं लगने पर हम अक्टूबर 2024 में नीतिगत रुख में बदलाव और दिसंबर 2024 एवं फरवरी 2025 में 0.25 प्रतिशत की कटौती की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं।"

एनएसओ के मुताबिक, जून में सबसे अधिक मुद्रास्फीति ओडिशा (7.22 प्रतिशत) और सबसे कम दिल्ली (2.18 प्रतिशत) में रही।

एनएसओ साप्ताहिक आधार पर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से आंकड़े जुटाता है।

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