मुंबई, 13 सितंबर: खुदरा मुद्रास्फीति के अगस्त में घटकर 6.8 प्रतिशत पर आने के बावजूद विशेषज्ञों को यह आशंका सता रही है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह रिजर्व बैंक के अनुमान से 0.60 प्रतिशत अधिक रह सकती है. जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 15 महीनों के उच्च स्तर 7.4 प्रतिशत पर रही लेकिन अगस्त में सब्जियों के दाम घटने से यह गिरकर 6.8 प्रतिशत पर आ गई.
ब्रोकरेज फर्म यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि सितंबर में भी खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के ऊपर ही रहने का अनुमान है. ऐसी स्थिति में जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा रिजर्व बैंक के अनुमान से अधिक रहने के आसार दिख रहे हैं.
यूबीएस की मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता-जैन ने कहा, "वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के अनुमान 6.2 प्रतिशत से 0.6 प्रतिशत बढ़कर 6.8 प्रतिशत तक जा सकती है." उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कीमतों पर दबाव बने रहने से मुद्रास्फीति में तेजी कायम है. ग्रामीण क्षेत्रों में मुद्रास्फीति सात प्रतिशत बढ़ी जबकि शहरी इलाकों में यह 6.6 प्रतिशत है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में औसत खुदरा मुद्रास्फीति 5.6 प्रतिशत रह सकती है.
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