कोविड-19 संकट से निपटने को रिजर्व बैंक ने प्रणाली में नकदी बढ़ाने के उपाय किए
प्रणाली में मौजूद अधिशेष नकदी की स्थिति को देखते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने रिवर्स रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 3.75 प्रतिशत कर दिया है। बैंकों को अपनी जमा रिजर्व बैंक के पास रखने पर जो ब्याज मिलता है उसे रिवर्स रेपो दर कहा जाता है।
मुंबई, 17 अप्रैल भारतीय रिजर्व बैंक ने कोविड-19 संकट के बीच शुक्रवार को वित्तीय प्रणाली में तरलता या नकदी बढ़ाने के लिए कई कदमों की घोषणा की। केंद्रीय बैंक ने जहां रिवर्स रेपो दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती की है, वहीं 50,000 करोड़ रुपये के लक्षित दीर्घावधि के रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) तथा नाबार्ड, सिडबी और राष्ट्रीय आवास बैंक (सिडबी) के लिए पुनर्वित सुविधा की घोषण की है।
प्रणाली में मौजूद अधिशेष नकदी की स्थिति को देखते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने रिवर्स रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 3.75 प्रतिशत कर दिया है। बैंकों को अपनी जमा रिजर्व बैंक के पास रखने पर जो ब्याज मिलता है उसे रिवर्स रेपो दर कहा जाता है।
दास ने कहा, ‘‘बैंकों को इस अधिशेष कोष को निवेश और अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों में कर्ज के रूप में देने के लिए प्रोत्साहित करने को तरलता समायोन सुविधा (एलएएफ) के तहत रिवर्स रेपो दर को तत्काल प्रभाव से चार से घटाकर 3.75 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। ’’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने नकदी की कमी का सामना कर रहे क्षेत्रों के लिए लक्षित तरलता प्रावधान किया है।
गवर्नर ने कहा कि नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रिजर्व बैंक ने एक मार्च से 14 अप्रैल, 2020 के दौरान 1.2 लाख करोड़ रुपये की नयी करेंसी बैंकों करेंसी चेंस्ट में पहुंचाई ताकि कोविड-19 के मद्देनजर मुद्रा की बढ़ी मांग को पूरा किया जा सके।
उन्होंने कहा कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए तरलता का प्रवाह बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने 50,000 करोड़ रुपये की टीएलटीआरओ सुविधा शुरू की है।
दास ने कहा, ‘‘बैंकों द्वारा टीएलटीआरओ 2.0 के तहत जो कोष लिया जाएगा उसका इस्तेमाल वे निवेश ग्रेड वाले बांडों, वाणिज्यिक पत्रों, एनबीएफसी के गैर परिवर्तनीय डिबेंचरों में निवेश के लिए करेंगे। कुल राशि में से कम से कम 50 प्रतिशत मध्यम आकार के एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) में करना होगा।’’
रिजर्व बैंक ने और तरलता उपलब्ध कराने के लिए अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों मसलन राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) तथा राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के लिए 50,000 करोड़ रुपये की पुनर्वित सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की है।
गवर्नर ने कहा, ‘‘नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी को क्षेत्रों की ऋण की जरूरतों को पूरा करने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की विशेष पुनवित्त सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला किया गया है।’’
इसमें से 25,000 करोड़ रुपये नाबार्ड को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों ओर एमएफआई को पुनर्वित्त उपलब्ध कराने के लिए मिलेंगे। सिडबी को ऋण-पुनर्वित्त के लिए 15,000 करोड़ रुपये और एनएचबी को आवास वित्त कंपनियों को समर्थन के लिए 10,000 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे।
इस सुविधा के तहत अग्रिम पर रिजर्व बैंक की रेपो दर के हिसाब से इसे लेने के समय ब्याज लगेगा।
इससे पहले राज्यों की नकदी की जरूरत को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक ने इसी महीने राज्यों के लिए अर्थोपाय अग्रिम (डब्ल्यूएमए) की सीमा को 30 प्रतिशत बढ़ा दिया था।
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