ताजा खबरें | राज्यसभा में गतिरोध कायम, हंगामे के बीच दो विधेयक पारित

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को भी गतिरोध कायम रहा और दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजकर 21 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि हंगामे के बीच ही सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद दो विधेयक पारित किए गए।

नयी दिल्ली, एक अगस्त राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को भी गतिरोध कायम रहा और दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजकर 21 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि हंगामे के बीच ही सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद दो विधेयक पारित किए गए।

उच्च सदन में नेता सदन पीयूष गोयल ने हंगामे के बीच ही सरकार की ओर से यह घोषणा की कि कल मूल्यवृद्धि के मुद्दे पर सदन में चर्चा करायी जाएगी। मूल्यवृद्धि उन मुद्दों में शामिल है जिन पर चर्चा के लिए विपक्षी सदस्य पिछले कई दिनों से हंगामा कर रहे हैं।

इससे पहले, पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही समय बाद शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट आकर हंगामा और नारेबाजी करने लगे। नायडू ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वह जिस मामले को लेकर हंगामा ओर नारेबाजी कर रहे हैं, उसका सदन से कोई लेना देना नहीं है।

शिवसेना सदस्य अपने सहयोगी संजय राउत की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे।

सभापति ने शिवसेना सदस्य अनिल देसाई का नाम ले कर कहा कि वह हंगामा न करें और सदन की कार्यवाही चलने दें। उन्होंने कहा, ‘‘आप सदन के बाहर अपना राजनीतिक हिसाब किताब करें।’’

हालांकि, इसके बावजूद सदस्यों का हंगामा जारी रही जिसे देखते हुए सभापति ने कार्यवाही पांच मिनट के भीतर ही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई की एक चॉल के पुनर्विकास में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन के मामले में शिवसेना सदस्य संजय राउत को रविवार को गिरफ्तार कर लिया।

एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर कई विपक्षी सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्य महंगाई पर चर्चा की मांग के साथ शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत की गिरफ्तारी का भी विरोध कर रहे थे।

हंगामे के बीच ही पीठासीन उपाध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया।

सदन में शोरगुल के बीच ही सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों के कामकाज में सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती और वे अपना काम रही हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग महंगाई के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे थे और आज लोकसभा में इस पर चर्चा होनी है जबकि यहां मंगलवार को चर्चा होगी।

इस पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महंगाई पर चर्चा कराने की जरूरत पर बल देते हुए आरोप लगाया कि विपक्ष की निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य कई मुद्दे उठाना चाहते हैं, उनमें गुजरात में 100 लोगों से अधिक की मौत का मुद्दा भी शामिल है।

सदन में शोरगुल जारी रहने के कारण कालिता ने 12 बजकर करीब 40 मिनट पर कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

दोपहर दो बजे सदन की बैठक फिर शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला। पीठासीन उपाध्यक्ष ने हंगामे के बीच ही पहले ‘सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022’ और फिर ‘भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022’ को संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित करवाया। सदन ने इन विधेयकों पर विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये संशोधन प्रस्तावों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया।

हंगामे के बीच नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल एवं निर्मला सीतारमण द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में 28 जुलाई को की गयी टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए और सत्ता पक्ष के इन दोनों मंत्रियों को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

खड़गे ने यह मांग गोयल एवं सीतारमण द्वारा 28 जुलाई को की गई उस टिप्पणी के बारे में की जिसमें दोनों मंत्रियों ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति के बारे में दिये गये विवादास्पद बयान को लेकर विपक्षी दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी का उल्लेख किया था।

नेता प्रतिपक्ष ने यह प्रसंग उठाते हुए कहा कि वह ‘‘प्रक्रियागत अनियिमतता’’ से जुड़े एक गंभीर मामले को उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने 29 जुलाई को राज्यसभा के सभापति को एक पत्र भेजा था।

उन्होंने कहा कि इस पत्र में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण एवं पीयूष गोयल ने 28 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का जो उल्लेख किया था, उसका सदंर्भ दिया गया है।

खड़गे ने कहा, ‘‘ वह (सोनिया गांधी) अन्य सदन की सदस्य हैं और उनके नाम का उल्लेख किया जाना काफी समय से चली आ रही संसदीय परिपाटी का घोर उल्लंघन है। मैंने उपरोक्त उल्लेख में श्रीमती निर्मला सीतारमण और श्री गोयल द्वारा प्रयुक्त किए गए उन शब्दों को निकालने और दोनों से माफी की मांग की है। ’’

इस पर पीठसीन उपाध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर सभापति एम वेंकैया नायडू निर्णय करेंगे।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वह यह जानना चाहते हैं कि सभापति निर्णय करने में कितना समय लगाएंगे क्योंकि उन्होंने 29 जुलाई को ही पत्र दिया था। उन्होंने कहा कि यह सदन की पुरानी परिपाटी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला है।

पीठासीन उपाध्यक्ष कालिता ने उनसे कहा कि यह काम सभापति पर छोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि यह उनके समक्ष विचाराधीन है।

इस मुद्दे पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेता प्रतिपक्ष आसन पर आक्षेप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आसन निष्पक्ष हैं और यह आरोप लगाना गलत है कि सदन में व्यवस्था नहीं होने के बावजूद विधेयकों को पारित करवाया गया।

गोयल ने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य शांत बैठे हैं और विपक्ष के कुछ सदस्य सदन में व्यवस्था नहीं बनने दे रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष के सदस्य यह सब महंगाई के मुद्दे पर चर्चा से बचने के लिए कर रहे हैं तथा वे इस चर्चा से भागना चाहते हैं।

सदन के नेता ने दावा किया कि विपक्षी सदस्य इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि सरकार ने महंगाई को रोकने के लिए बहुत प्रभावी एवं ठोस कदम उठाये हैं।

इससे पहले खड़गे ने सदन में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के विरोध की ओर इशारा करते हुए पीठासीन उपाध्यक्ष से कहा था कि इस तरफ (विपक्ष) के सदस्यों की बात नहीं सुनी जा रही जबकि उस तरफ (सत्ता पक्ष) के सदस्यों की बात सुनी जा रही है। उनका संकेत इस बात की ओर था कि सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच दो विधेयकों पर चर्चा करवायी गयी।

सदन में आज हंगामे के बीच कुछ विपक्षी सदस्यों ने जब व्यवस्था का प्रश्न उठाना चाहा तो पीठासीन अध्यक्ष ने उनसे कहा कि जब सदन में व्यवस्था ही नहीं है तो वे व्यवस्था का प्रश्न कैसे उठा सकते हैं। कालिता ने कहा कि नियमों के अनुसार आसन के समक्ष आए सदस्य अपने नियत स्थानों पर जाकर ही इस तरह का प्रश्न उठा सकते हैं।

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