जयपुर, नौ मई राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अजमेर दरगाह के खादिमों (सेवक) की संस्था 'अंजुमन' के सचिव सरवर चिश्ती द्वारा जैन भिक्षुओं के बारे में बयान की कड़ी निंदा की।
चिश्ती ने जैन भिक्षुओं के बिना वस्त्रों के 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा स्मारक' में जाने पर आपत्ति जताते हुए एक आडियो बयान जारी किया था। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं और जैन भिक्षुओं का एक समूह मंगलवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नियंत्रण वाले स्मारक 'अढ़ाई दिन का झोंपड़ा' पहुंचा और दावा किया कि यह स्मारक पहले संस्कृत विद्यालय था।
उनका कहना था कि विद्यालय से पहले उस जगह जैन मंदिर था। सुनील सागर महाराज के नेतृत्व में ये भिक्षु फवारा सर्किल से दरगाह बाजार होते हुए स्मारक पहुंचे। उनके अनुसार अढ़ाई दिन का झोंपड़ा पहले संस्कृत विद्यालय था। उससे भी पहले यह एक जैन मंदिर था।
बाद में सरवर चिश्ती का एक ऑडियो संदेश सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि जैन भिक्षुओं के बिना वस्त्रों के इस स्मारक में जाने पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने पुलिस में अपना विरोध दर्ज कराया है।
चिश्ती के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए देवनानी ने कहा कि सरवर चिश्ती ने जैन मुनियों पर टिप्पणी कर सनातन संस्कृति का अपमान किया है और उन्हें पूरे सनातन समाज से माफी मांगनी चाहिए।
देवनानी ने कहा कि जैन मुनियों के खिलाफ चिश्ती का बयान बेहद घृणित, दुर्भाग्यपूर्ण और विकृत मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने यह भी कहा कि अढ़ाई दिन का झोंपड़ा की सच्चाई जानने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र लिखा जाएगा।
देवनानी ने कहा, ''जैन संत जीवन भर वस्त्रहीन रहकर समाज को भक्ति और तपस्या से परिपूर्ण जीवन का संदेश देते हैं। उनका आचरण समाज में शुचिता का प्रतीक है। जैन संतों ने हमेशा अहिंसा पर जोर दिया है।''
उन्होंने कहा, ''जैन संतों के पहनावे को लेकर चिश्ती की टिप्पणी संपूर्ण जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान है।''
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