
जयपुर, सात फरवरी राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को विपक्षी कांग्रेस विधायकों ने मंत्री किरोड़ी लाल मीण के इस आरोप को लेकर हंगामा किया कि उनके फोन कॉल टैप किए जा रहे हैं।
इस हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पडी।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही यह मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि मंत्री का फोन टैप किया जा रहा है और मंत्री ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है।
जूली ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।’’
कांग्रेस विधायक शुक्रवार को सदन में काली पट्टी बांधकर पहुंचे और कथित फोन टैपिंग के मुद्दे को लेकर आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे।
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कांग्रेस विधायकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह ‘‘चोरों का समूह’’ है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष की नारेबाजी गलत है।
सदन के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विधायकों से प्रश्नकाल में सदन की कार्यवाही बाधित नहीं करने को कहा लेकिन कांग्रेस विधायक आसन के समक्ष आ गए और नारेबाजी करने लगे।
हंगामे को देखते हुए विधानसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित की गई।
पहली बार प्रश्नकाल के दौरान और दूसरी बार शून्यकाल में कार्यवाही स्थगित की गई। कांग्रेस विधायकों ने जब नारेबाजी जारी रखी तो फिर से सदन की कार्यवाही स्थगित की गई। बाद में कांग्रेस विधायक सदन से बाहर आ गए और विधानसभा की सीढ़ियों पर नारेबाजी करने लगे।
जूली ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब तक मुख्यमंत्री सदन में जवाब नहीं देते, हम सदन की कार्यवाही नहीं होने देंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत बड़ा मुद्दा है। राज्य के केबिनेट मंत्री का फोन सरकार टैप करा रही है?... इससे अधिक और क्या हो सकता है? सरकार जवाब देने के लिये तैयार नहीं है…। हमने कह दिया है कि जब तक इस मामले पर गृहमंत्री या मुख्यमंत्री का जवाब नहीं आयेगा, सदन की कार्यवाही नहीं चलेगी।’’
सदन में राज्यपाल के बजट अभिभाषण पर बहस का शुक्रवार को आखिरी दिन है। राज्यपाल के अभिभाषण पर नेता प्रतिपक्ष तथा उसके बाद मुख्यमंत्री को अपने विचार रखने थे और उसके लिये चार बजे नेता प्रतिपक्ष का नाम भी पुकारा गया लेकिन हंगामे के कारण कुछ क्षण बाद ही मुख्यमंत्री ने चार बजे अपना भाषण शुरू कर दिया।
मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी सरकार पर जासूसी का आरोप लगाया।
उन्होंने जयपुर के आमागढ़ मंदिर में बृहस्पतिवार को कार्यक्रम में सरकार को घेरा और कहा कि वह डरने वाले नहीं हैं।
इससे पहले, अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार में भी इस तरह के आरोप लगे थे।
कांग्रेस की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा के बाहर कहा कि सरकार के कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने जिस तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं, उसके बाद अब साबित करने के लिए कुछ नहीं बचा है।
डोटासरा ने कहा, ‘‘या तो मुख्यमंत्री जवाब देकर कैबिनेट मंत्री की छुट्टी करें …और ये आरोप नकारें... या मुख्यमंत्री त्यागपत्र दें.. दो ही बात हो सकती है… तीसरी कोई बात नहीं होगी।’’
उन्होंने कहा कि जब तक स्पष्ट बयान नहीं आता, तब तक सदन नहीं चलने दिया जाएगा।
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद भी कांग्रेस विधायक मुख्यमंत्री भजनलाल के इस्तीफे की मांग करते रहे और सदन में आसन के समक्ष नारेबाजी कर सदन की कार्यवाही बाधित की।
सभापति को सदन की कार्यवाही तीसरी बार करीब 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘एक्स’ पर लिखा ‘‘हमारी सरकार के समय मैंने सदन के पटल पर कहा था कि किसी भी मंत्री, सांसद और विधायक की टेलिफोन (पर बातचीत की) निगरानी नहीं की गई और न ही की जाएगी। परन्तु भाजपा सरकार पर अपने ही कैबिनेट मंत्री द्वारा फोन टैपिंग के आरोप लगाना भाजपा की सच्चाई उजागर करता है। ’’
उन्होंने लिखा ‘‘यह मामला बहुत गंभीर प्रकृति का है क्योंकि आरोप राजनीतिक लाभ के लिए किसी विपक्षी नेता ने नहीं, बल्कि सरकार के कैबिनेट मंत्री ने लगाए हैं। इनकी सच्चाई सामने आनी चाहिए। मुख्यमंत्री को सदन में जवाब देना चाहिए।’’
गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा, "कांग्रेस बेबुनियाद आधार पर लोगों को गुमराह कर रही है। राज्य सरकार ने किसी विधायक या मंत्री का फोन टैप नहीं किया है। आरोप बेबुनियाद हैं।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने उपमुख्यमंत्री और करीब 25 विधायकों के फोन टैप करने के आदेश दिए थे। उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा ने कहा, "आरोप बेबुनियाद हैं। कोई फोन टैप नहीं किया गया। मीणा वरिष्ठ नेता और कैबिनेट में मंत्री हैं और उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है।’’
बाद में, जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा राज्यपाल के अभिभाषण पर जवाब दे रहे थे, तब भी कांग्रेस ने नारेबाजी जारी रखी।
हंगामे के बीच, मुख्यमंत्री के जवाब के बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। सदन की कार्यवाही 19 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई।
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