देश की खबरें | राहुल ने मानहानि मामले में दोषसिद्धि, सजा को चुनौती दी; अदालत ने जमानत दी, 13 अप्रैल को होगी सुनवाई
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. गुजरात में सूरत की सत्र अदालत ने मानहानि के मामले में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सोमवार को जमानत दे दी और अब इस मामले में 13 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
सूरत/नयी दिल्ली, तीन अप्रैल गुजरात में सूरत की सत्र अदालत ने मानहानि के मामले में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सोमवार को जमानत दे दी और अब इस मामले में 13 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
गांधी को ‘मोदी उपनाम’ के संदर्भ में उनकी 2019 की टिप्पणी के लिए निचली अदालत ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। पिछले महीने सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए गए गांधी (52) अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर पी मोगेरा की अदालत में उपस्थित हुए, जिसने 15,000 रुपये के मुचलके पर उनकी अपील के निपटारे तक जमानत दे दी।
राहुल ने अपील में कहा है कि आपराधिक मानहानि मामले में 23 मार्च को मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ और स्पष्ट रूप से गलत थी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें एक ऐसे तरीके से सजा सुनाई गई कि वह संसद सदस्य के तौर पर अयोग्य हो जाएं।
राहुल ने दोषसिद्धि और दो साल की कैद की सजा के खिलाफ अपनी अपील में दलील दी है कि निचली अदालत ने उनके साथ सख्ती बरती, जो एक सांसद के तौर पर उनके दर्जे से अत्यधिक प्रभावित थी। उन्होंने कहा कि एक निश्चित मोदी समाज या समुदाय जैसी कोई चीज रिकार्ड में नहीं है।
अर्जी में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है, ‘‘यह दलील देना तर्कसंगत प्रतीत होता है कि अर्जीकर्ता को असल में इस तरीके की सजा सुनाई गई जो (संसद सदस्य के तौर पर) अयोग्य घोषित करने का मार्ग प्रशस्त करे।’’
अर्जी के मुताबिक, मजिस्ट्रेट अदालत का फैसला पूर्वधारणा,अनुमान,अटकलबाजी और परिकल्पना के आधार पर जारी किया गया,जिसकी कहीं से भी आपराधिक कानून में अनुमति नहीं है।
अदालत ने मामले में शिकायतकर्ता-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी को दोषसिद्धि के निलंबन के लिए गांधी की अर्जी पर एक नोटिस जारी किया। अदालत दोषसिद्धि और सजा के निलंबन के लिए गांधी की अर्जी पर 13 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
गांधी के वकील किरीट पानवाला ने कहा, ‘‘दोषसिद्धि के खिलाफ गांधी की अपील को सत्र अदालत ने मंजूर कर लिया। उन्होंने जमानत और दोषसिद्धि के निलंबन के लिए भी अर्जियां दायर कीं। अदालत ने अपील के निपटारे तक उन्हें जमानत दे दी है।’’
चार बार लोकसभा सदस्य रहे राहुल अपनी बहन प्रियंका गांधी वाद्रा के साथ एक वाणिज्यिक उड़ान से दोपहर में सूरत पहुंचे।
पानवाला ने बताया कि राहुल गांधी ने मुख्य अर्जी के साथ दो अतिरिक्त अर्जी दायर कीं। इनमें पहली अर्जी सजा के निलंबन के लिए या नियमित जमानत के लिए, और दूसरी अर्जी दोषसिद्धि के निलंबन के लिए है।
अदालत ने गांधी की पहली अर्जी मंजूर करते हुए उन्हें जमानत दे दी। गांधी के वकील ने कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी अर्जी पर अदालत ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 13 अप्रैल के लिए निर्धारित की।
पानवाला ने कहा कि भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी को 10 अप्रैल तक अर्जी पर अपना जवाब दाखिल करना होगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार को भी प्रतिवादी बनाया गया है और सत्र अदालत ने नोटिस जारी किया है।
गांधी ने सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत पेशी से छूट के लिए भी अदालत से अनुरोध किया और उनकी प्रार्थना को न्यायाधीश ने स्वीकार कर लिया।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के साथ पार्टी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और अन्य नेता उस समय अदालत कक्ष में मौजूद थे जब अपराह्न करीब तीन बजे मामले पर सुनवाई हुई। राहुल गांधी, प्रियंका और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ एक लग्जरी बस से अदालत परिसर तक पहुंचे। पुलिसकर्मियों की भारी तैनाती के बीच बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक परिसर के बाहर जमा हो गए।
राहुल ने अदालत से जमानत मिलने के बाद एक ट्वीट में कहा कि वह ‘मित्रकाल’ के खिलाफ और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसमें सत्य ही उनका अस्त्र है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ये ‘मित्रकाल’ के विरुद्ध, लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है। इस संघर्ष में, सत्य मेरा अस्त्र है, और सत्य ही मेरा आसरा!’’
राहुल के खिलाफ पूर्णेश मोदी ने उस टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?’’
गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी। टिप्पणी को अपमानजनक माना गया और गुजरात के पूर्व मंत्री ने मामला दर्ज कराया।
कांग्रेस नेता 2019 में केरल की वायनाड सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उन्हें 23 मार्च को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने दोषी ठहराया और दो साल की जेल की सजा सुनाई।
निचली अदालत ने फैसले के खिलाफ अपील के लिए गांधी की सजा एक महीने के लिए निलंबित कर दी थी। फैसले के एक दिन बाद, राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के मुताबिक, दो साल या इससे अधिक की जेल की सजा मिलने पर सांसद या विधायक संसद या विधानसभा की अपनी सदस्यता से, दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य हो जाता है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर करने के दौरान सूरत में कांग्रेस नेताओं के जमावड़े को अदालत के समक्ष उनका शक्ति प्रदर्शन करार दिया और आरोप लगाया कि यह उनके अहंकार को दर्शाता है।
सत्र अदालत में अपील दायर करने के दौरान राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के मौजूद रहने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सवाल किया कि क्या यह उनके अहंकार का प्रदर्शन है, न्यायपालिका पर दबाव बनाने का प्रयास है या जांच एजेंसियों को धमकाने की 'जानी-पहचानी रणनीति' है।
केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने आरोप लगाया कि आपराधिक मानहानि के मामले में सूरत की अदालत में अपील दाखिल करने के लिए राहुल गांधी के साथ जाने के कांग्रेस नेताओं का फैसला न्यायपालिका पर ‘अनुचित दबाव’ बनाने की कोशिश है।
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस आरोप को खारिज कर दिया। खरगे ने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी देश के लिए लड़ रहे हैं और ऐसे में पार्टी के नेता उनके समर्थन के लिए सूरत पहुंचे तथा यह कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं है।
कांग्रेस नेता ने अपने वकील द्वारा दायर अर्जी में दावा किया कि दोषसिद्धि का फैसला किसी साक्ष्य के बगैर पारित किया गया।
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