चेन्नई, छह मार्च मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के मंत्रियों- उदयनिधि स्टालिन और पी के शेखर बाबू एवं सांसद ए राजा के खिलाफ एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के सदस्यों की ओर दायर की गयी याचिकाओं पर ‘अधिकार पृच्छा’ रिट जारी करने से बुधवार को इनकार कर दिया।
एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के सदस्यों ने इन नेताओं द्वारा सनातन धर्म के विरुद्ध कथित रूप से टिप्पणी करने के बाद पद पर बने रहने के उनके अधिकार पर सवाल उठाये थे।
‘अधिकार पृच्छा’ याचिकाओं में सवाल किया गया था कि किस अधिकार से वे सरकारी पदों पर बने हुए हैं।
न्यायमूर्ति अनीता सुमंत ने हिंदू मुन्नानी के दो पदाधिकारियों तथा एक अन्य व्यक्ति की ओर से दायर याचिकाओं का निस्तारण कर दिया। इन याचिकाओं में प्रश्न उठाया गया कि जब द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के इन नेताओं ने ‘सनातन धर्म विरोधी बैठक’ में हिस्सा लिया और धार्मिक रीति-रिवाजों की व्यवस्था के खिलाफ कथित रूप से भाषण दिया तो वे किस हैसियत से सरकारी पदों पर बने हुए हैं।
हिंदू मुन्नानी का पदाधिकारी होने का दावा करने वाले टी मनोहर और दो अन्य ने ये याचिकाएं दायर की हैं।
इन याचिकाओं को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सुमंत ने हालांकि टिप्पणी की कि ऊंचे पदों पर आसीन व्यक्तियों को अधिक जिम्मेदारी से बर्ताव करना चाहिए तथा कोई बयान देने से पहले ऐतिहासिक घटनाओं का सत्यापन करना चाहिए।
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