खड़गपुर (पश्चिम बंगाल), 23 फरवरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के खतरों और हाल ही में उत्तराखंड में हुई घटना जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति मंगलवार को आगाह करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) को आपदा के प्रभावों का सामना कर सकने वाले सक्षम आधारभूत ढांचा विकसित करने को कहा।
आईआईटी खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने छात्रों को ‘तीन आत्म’ (सेल्फ थ्री)-- आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और नि:स्वार्थ भाव-- का मंत्र दिया, ताकि वे लोगों के जीवन में बदलाव लाने का स्टार्टअप (माध्यम) बन सकें।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) जैसे कार्यक्रमों के जरिये सुरक्षित, वहनीय एवं पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा की उपलब्धता की जरूरत का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही है क्योंकि प्राकृतिक आपदाएं हमारे आधारभूत ढांचे को नष्ट कर देती है। भारत ने दुनिया का ध्यान आपदा प्रबंधन के मुद्दे की ओर आकृष्ट किया है। आपने देखा कि हाल ही में उत्तराखंड में क्या हुआ। हमें आपदा सहने में सक्षम आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए, जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों को बर्दाश्त कर सके।’’
मोदी ने आपदा सहने में सक्षम आधारभूत ढांचे पर वैश्विक गठबंधन (सीडीआरआई) का जिक्र किया, जिसकी घोषणा वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में किया गया था। सीडीआरआई सरकारों, संयुक्त राष्ट्र की एजेसियों एवं कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, वित्तीय ढांचे, निजी क्षेत्र और ज्ञान संस्थानों का ऐसा गठजोड़ है जो जलवायु एवं आपदा खतरों को सहने की व्यवस्था को प्रोत्साहित करती है, ताकि सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी से मुकाबले के लिये आईआईटी द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी और उसकी भूमिका की सराहना की।
उन्होंने कहा कि संस्थानों को अब स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी समस्याओं का भविष्योन्मुखी समाधान तलाशने के लिये तेजी से काम करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आईआईटी खड़गपुर के दीक्षांत समारोह में छात्रों से कहा, ‘‘आप भारत के 130 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘ 21वीं सदी के भारत की स्थिति भी बदल गई है, ज़रूरतें भी बदल गई हैं और आकांक्षाएं भी बदल गई हैं। अब आईआईटी को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ही नहीं, बल्कि स्थानीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के रूप में अगले मुकाम पर ले जाने की जरूरत है।’’
उन्होंने छात्रों से कहा कि जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे। जैसे कि-- क्या यह रास्ता सही है, गलत है, नुकसान तो नहीं हो जाएगा, समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा ?
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसे बहुत से सवाल आएंगे। इन सवालों का उत्तर ‘तीन आत्म (सेल्फ थ्री) में हैं। आप अपने सामर्थ्य को पहचानकर आगे बढ़ें, पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ें, निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ें।’’
स्वच्छ एवं वहनीय ऊर्जा की जरूरत को रेखांकित करते हए मोदी ने कहा कि जब दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही है, भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का सुरक्षित, वहनीय एवं पर्यावरण अनुकूल विचार दुनिया के सामने रखा और इसे मूर्त रूप दिया।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया के अनेक देश भारत द्वारा शुरू किए गए इस अभियान से जुड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज भारत उन देशों में एक है, जहां सौर ऊर्जा की कीमत प्रति यूनिट बहुत कम है, लेकिन घर-घर तक सौर ऊर्जा (सोलर पावर) पहुंचाने के लिए अब भी बहुत चुनौतियां हैं। उन्होंने छात्रों से कहा, ‘‘ क्या आप चूल्हा उपयोग करने वाले घरों तक ‘‘सोलर कुकर’’ पहुंचा सकते हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘आपने जो सोचा है, आप जिस नवाचार पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपको पूरी सफलता ना मिले, लेकिन आपकी उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे।’’
उन्होंने कहा कि भारत को ऐसी प्रौद्योगिकी चाहिए जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए, टिकाऊ हो और लोग ज्यादा आसानी से उसका इस्तेमाल कर सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार ने नक्शे और भूस्थानिक आंकड़ों को नियंत्रण से मुक्त कर दिया है। इस कदम से प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के लिए माहौल सुदृढ़ होगा।
मोदी ने कहा, ‘‘ इस कदम से आत्मनिर्भर भारत का अभियान भी और तेज होगा। इस कदम से देश के युवा स्टार्टअप और नवोन्मेषकों को नई आजादी मिलेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष के जिस मार्ग पर चले हैं, वहां जल्दबाज़ी के लिए कोई स्थान नहीं है।’’
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