देश की खबरें | प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण, कुपोषण को लेकर जागरूकता पर दिया जोर, इंटरनेट विस्तार को किया रेखांकित
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कुपोषण के खिलाफ जंग और जल संरक्षण को लेकर सामाजिक जागरूकता के महत्व पर बल दिया और कहा कि इंटरनेट सेवाओं के विस्तार से दूर-सुदूर क्षेत्रों, खासकर पूर्वोत्तर में ना सिर्फ एक नया सूर्योदय हुआ है बल्कि देश में डिजिटल उद्यमियों की संख्या भी बढ़ी है।
नयी दिल्ली, 28 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कुपोषण के खिलाफ जंग और जल संरक्षण को लेकर सामाजिक जागरूकता के महत्व पर बल दिया और कहा कि इंटरनेट सेवाओं के विस्तार से दूर-सुदूर क्षेत्रों, खासकर पूर्वोत्तर में ना सिर्फ एक नया सूर्योदय हुआ है बल्कि देश में डिजिटल उद्यमियों की संख्या भी बढ़ी है।
प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 92वीं कड़ी में देशवासियों से अपने विचार साझा करते हुए यह भी कहा कि जिस तरह स्वच्छता और टीकाकरण अभियान के दौरान देश की सामूहिक शक्ति की भावना दिखी, उसी प्रकार ‘आजादी के अमृत’ महोत्सव के तहत चलाए गए तिरंगा अभियान में भी लोगों में देशभक्ति की ‘‘अमृत धारा’’ नजर आई।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से जल संरक्षण की दिशा में सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों और कुपोषण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को मजबूती देने का भी आह्वान किया।
तिरंगा अभियान के तहत देशभर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों का विस्तार से वर्णन करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘हमने स्वच्छता अभियान और टीकाकरण अभियान में भी देश की भावना को देखा था। अमृत महोत्सव में हमें फिर देशभक्ति का वैसा ही जज्बा देखने को मिल रहा है।’’
उन्होंने कहा कि इस दौरान सैनिकों ने जहां पहाड़ की ऊंची-ऊंची चोटियों पर, देश की सीमाओं पर और बीच समंदर में तिरंगा फहराया, वहीं लोगों ने तिरंगा अभियान के लिए अलग-अलग नवाचार वाले विचार प्रस्तुत किए।
मोदी ने कहा, ‘‘इतना बड़ा देश, इतनी विविधताएं, लेकिन बात जब तिरंगा फहराने की आई तो हर कोई एक ही भावना से ओत-प्रोत दिखाई दिया। तिरंगे के गौरव के प्रथम प्रहरी बनकर लोग खुद आगे आए।’’
उन्होंने कहा कि पहले गांवों में बिजली पहुंचने पर लोग खुश होते थे, लेकिन ‘‘नए भारत’’ में गांवों में अब वैसी खुशी इंटरनेट की 4जी सेवाएं पहुंचने में होती है।
मोदी ने कहा कि जो सुविधाएं कभी बड़े शहरों में हुआ करती थीं, ‘‘डिजिटल इंडिया’’ ने उन्हें गांव-गांव में पहुंचा दिया है।
प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में जोरसिंग गांव में 4जी सेवाएं पहुंचने का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पिछले दिनों हुआ यह बदलाव ऐसा था, जिसका लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसे, पहले कभी गांव में बिजली पहुंचने पर लोग खुश होते थे, अब नए भारत में वैसी ही खुशी 4जी पहुंचने पर होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अरुणाचल और पूर्वोत्तर भारत के दूर-सुदूर इलाकों में 4जी के तौर पर एक नया सूर्योदय हुआ है। इंटरनेट संपर्क एक नया सवेरा लेकर आया है। जो सुविधाएं कभी सिर्फ बड़े शहरों में होती थीं, वह डिजिटल इंडिया ने गांव–गांव में पहुंचा दी हैं। इस वजह से देश में नए डिजिटल उद्यमी पैदा हो रहे हैं।’’
इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने राजस्थान के अजमेर जिले में कपड़ों की सिलाई करने वाले सेठा सिंह रावत द्वारा चलाए जा रहे ‘‘दर्जी ऑनलाइन’’ की कहानी सुनाई कि कैसे कोविड काल में उन्होंने इंटरनेट की मदद से आपदा को अवसर में बदला।
उन्होंने कहा, ‘‘आज डिजिटल इंडिया की ताकत से सेठा सिंह का काम इतना बढ़ चुका है कि अब उन्हें पूरे देश से आर्डर मिलते हैं। सैकड़ों महिलाओं को उन्होंने अपने यहां रोजगार दे रखा है।’’
प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे ‘‘डिजिटल इंडिया’’ ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव में रहने वाले ओम प्रकाश सिंह को भी डिजिटल उद्यमी बना दिया।
उन्होंने कहा कि ‘कॉमन सर्विस सेंटर’ की स्थापना से ओम प्रकाश का काम अब इतना बढ़ गया है कि उनके यहां 20 से ज्यादा लोग नौकरी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कॉमन सर्विस सेंटर की तरह ही सरकार के जीईएम पोर्टल पर भी ऐसी कितनी ही सफलता की कहानियां देखने को मिल रही हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटरनेट ने इसी प्रकार युवाओं की पढ़ाई और उनके सीखने के तौर-तरीकों को बदल दिया है।
उन्होंने उत्तर प्रदेश के उन्नाव की रहने वाली गुड़िया सिंह की कहानी सुनाई कि कैसे ससुराल में उसने ‘‘भारतनेट’’ की मदद से अपनी पढ़ाई से जुड़ी चिंताओं का समाधान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘गांव-गांव में ऐसे कितने ही जीवन डिजिटल इंडिया अभियान से नयी शक्ति पा रहे हैं।’’
उन्होंने देशवासियों से इस प्रकार की सफलता की कहानियां सोशल मीडिया पर साझा करने का आग्रह किया। मोदी ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक ‘स्वराज’ का जिक्र किया। साथ ही देशवासियों से आग्रह किया कि वे आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले गुमनाम नायक-नायिकाओं की कहानी बच्चों को जरूर दिखाएं।
प्रधानमंत्री ने जल को मानवता का ‘परम मित्र’ और जीवनदायिनी बताया। उन्होंने कहा कि जल से ही अन्न उत्पन्न होता है और फिर उससे ही सभी का हित होता है।
अमृत सरोवर सहित जल संरक्षण की दिशा में किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आज अमृत सरोवर का निर्माण एक जन-आंदोलन बन गया है। मेरा आप सभी से और खासकर युवा साथियों से आग्रह है कि आप अमृत सरोवर अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और जल संचय व संरक्षण के इन प्रयासों को पूरी ताकत दें। उन्हें आगे बढ़ाएं।’’
मोदी ने कहा कि अमृत सरोवर अभियान आज की अनेक समस्याओं का समाधान तो करता ही है, साथ ही यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत कई जगहों पर पुराने जलाशयों का कायाकल्प भी किया जा रहा है।
कुपोषण के खिलाफ देश में चलाए जा रहे विभिन्न अभियानों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आप सभी से आग्रह करूंगा कि आप आने वाले पोषण माह में कुपोषण को दूर करने के प्रयासों में जरूर हिस्सा लें।’’
उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता के प्रयास कुपोषण से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रत्येक वर्ष एक से 30 सितंबर के बीच मनाए जाने वाले पोषण माह का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सितंबर का महीना त्योहारों के साथ-साथ पोषण से जुड़े अभियान के लिए समर्पित है।
उन्होंने कहा कि कुपोषण से लड़ाई के लिए देशभर में अनेक रचनात्मक और विविधतापूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं और तकनीक का बेहतर उपयोग और जनभागीदारी पोषण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा कि आज दुनियाभर में मोटे अनाज बाजरे की लोकप्रियता बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि जब विदेशी मेहमान और राष्ट्राध्यक्ष भारत आते हैं, तो उन्हें बाजरे जैसे मोटे अनाज से बने व्यंजन परोसे जाते हैं और इसका लुत्फ उठाने के बाद वे मोटे अनाज के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्र करने के प्रयास भी करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बाजरा और अन्य मोटे अनाज प्राचीन काल से ही खेती-बाड़ी, संस्कृति और सभ्यता का अंग रहे हैं। वेदों में भी बाजरे का उल्लेख मिलता है और यह देशभर में होता है। ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टु बाजरे के ही रूप हैं। भारत विश्व में बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसलिए इस पहल को सफल बनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी भी भारतवासियों की ही है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि बाजरे को लोकप्रिय बनाने के लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए और जन आंदोलन चलाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में बाजरे को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं और इसके अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान देने के साथ ही किसान उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके।
प्रधानमंत्री ने किसानों से बाजरा उगाने और इससे लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज कई स्टार्ट अप बाजरे पर काम कर रहे हैं और वे इससे मिलेट कुकीज, मिलेट पैन केक और डोसा भी बना रहे हैं।
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