राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति ने दी ईद की बधाई, नए सामान खरीदने से लोगों ने किया परहेज

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संदेश में लोगों से कहा कि सामाजिक दूरी के नियम का पालन करने का संकल्प लें और कोरोना वायरस की चुनौती से जल्द पार पाने व सुरक्षित रहने के लिए अन्य सभी एहतियात बरतें।

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नयी दिल्ली, 24 मई देशभर में सोमवार को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा। ईद की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देशवासियों को इस पर्व के लिये बधाई दी।

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संदेश में लोगों से कहा कि सामाजिक दूरी के नियम का पालन करने का संकल्प लें और कोरोना वायरस की चुनौती से जल्द पार पाने व सुरक्षित रहने के लिए अन्य सभी एहतियात बरतें।

कोविंद ने कहा, “यह त्योहार प्रेम, शांति, भाईचारे और सद्भाव की अभिव्यक्ति का है। इस मौके पर हम समाज के सबसे कमजोर वर्गों के साथ चीजों को साझा करने और उनकी देखभाल में अपने विश्वास की पुष्टि करते हैं।”

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति ने विदेशों में बसे नागरिकों समेत सभी लोगों को ईद-उल-फितर की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा, “ऐसे समय में जब हम कोविड-19 महामारी के कारण अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहे हैं तो आइये देने (जकात) की अपनी भावना को व्यापक रूप से अपनाएं।’’

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कामना की, "ईद-उल-फितर से जुड़े महान आदर्श हमारे जीवन में स्वास्थ्य, शांति, समृद्धि और सद्भाव लेकर आएं।"

हालांकि इस बार कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते ईद की पूर्व संध्या पर रौनक दिखाई नहीं दे रही है।

दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जाकिर नगर में एक गैर-सरकारी संगठन चलाने वालीं शमा खान हर साल ईद पर गहने, कपड़े, बहुत सारी मिठाइयां खरीदती थीं और रिश्तेदारों को दावत देती थीं, लेकिन इस बार वह ऐसा नहीं कर रहीं।

खान (30) कहती हैं, ''यह आम दिनों की तरह नहीं हैं। हमारे घर पर और रिश्तेदारों में किसी ने भी गहने, कपड़े या मिठाइयां नहीं खरीदीं। हर साल हमारा परिवार दावत किया करता था, लेकिन इस बार हम ऐसा नहीं करेंगे। जब करोड़ों लोग भूखे पेट सो रहे हों, तो हम ऐसा कैसे कर सकते हैं।''

खान की ही तरह राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले कई मुसलमान ईद-उल-फितर पर नए सामान और कपड़े खरीदने से परहेज कर रहे हैं। उन्होंने पैसा बचाकर उसे कोविड-19 लॉकडाउन से प्रभावित जरूरतमंद लोगों और प्रवासियों की मदद के लिये खर्च करने का फैसला लिया है।

जामिया नगर के निवासी मोहम्मद मुस्लिम और उनके दोस्तों ने भी इस साल ईद पर खरीदारी न करके उससे बचे पैसों को जरूरतमंद लोगों के लिये जरूरी सामान खरीदने पर खर्च करने का फैसला किया है।

मुस्लिम कहते हैं, ''हमारे समूह में लगभग 50 ऐसे लोग हैं, जिन्होंने ऐसे बेघर लोगों और प्रवासियों के लिए आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए पैसे जमा किए हैं, जिनके पास लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी कमाने का कोई साधन नहीं है।''

सामाजिक कार्यकर्ता मुस्लिम ने कहा, ''जरूरी नहीं है कि हम ईद पर नमाज अदा करने के लिए नए कपड़े पहनें। बस कपड़े साफ होने चाहिए। साथ ही, अगर लोग इत्र और गहने नहीं खरीदते हैं तो बहुत सारा पैसा बचाया जा सकता है।''

उन्होंने कहा कि जब लाखों बेघर और बेरोजगार देशवासी एक समय के भोजन के लिये भी संघर्ष कर रहे हों, तो ईद मनाने का क्या फायदा।

देश के अधिकतर हिस्सों में सोमवार को ईद मनायी जाएगी। हालांकि केरल और जम्मू-कश्मीर समेत कुछ जगहों पर रविवार को ही ईद मनाई गई।

उत्तर प्रदेश में भी इस बार की ईद कुछ अलग होगी क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन लागू है । ईद की पूर्व संध्या पर गुलजार रहने वाली राजधानी लखनऊ के अमीनाबाद, नजीराबाद, फतेहगंज, लाटूश रोड और कैसरबाग की सड़कों पर रविवार को सन्नाटा पसरा रहा । मुस्लिम धर्मगुरूओं ने अपील की है कि लोग ईद घर पर ही रहकर मनायें ।

बिहार में भी ईद की रौनक नदारद है और लोगों ने घरों में रहकर ही इसे मनाने का फैसला किया है।

पटना में सेवानिवृत आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्ला ने 'पीटीआई-' से कहा, ''मैंने न तो ऐसा कभी सुना और न ही देखा कि लोग ईद की नमाज घरों में पढ़ें। इस बार न तो हाथ मिला पाएंगे और न ही गले मिल सकेंगे। इस बार ईद बहुत अलग है।''

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