जयपुर, 14 अगस्त : राजस्थान में 29 अगस्त से पांच अक्टूबर तक 'ग्रामीण ओलंपिक' आयाोजित किये जायेंगे जिसमें उम्र की कोई सीमा नहीं होने के कारण दादा से लेकर पोते और चाचा से लेकर भतीजे तक कई पीढियां छह खेलों में एक साथ जोर आजमाती नजर आएंगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उम्मीद जताई है कि यह 'राजीव गांधी ग्रामीण ओलिंपिक' देश के किसी भी राज्य द्वारा आयोजित अपनी तरह का सबसे बड़ा खेल आयोजन साबित होगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा राज्य सरकार की खेलों व स्वास्थ्य को प्रोत्साहित किए जाने की इस महत्वाकांक्षी पहल की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं.
उन्होंने बताया कि ग्रामीण ओलंपिक खेलों में छह प्रकार के खेलों कबड्डी, शूटिंग बॉल, वॉलीबॉल, हॉकी, खो-खो तथा टेनिस बॉल क्रिकेट की प्रतियोगिताएं होंगी. ग्राम पंचायत स्तर पर 29 अगस्त से लेकर चार दिनों तक नॉकआउट मैचों का आयोजन किया जाएगा. इसके बाद ब्लॉक स्तर पर 12 सितंबर से चार दिवस तक तथा जिला स्तर पर 22 सितंबर से तीन दिन तक मैचों का आयोजन किया जाएगा. इसमें राज्य स्तर के मैच दो अक्तूबर से राजधानी जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में होंगे. पांच अक्तूबर को खेलों का समापन होगा. उन्होंने बताया कि ग्रामीण ओलंपिक के लिए ऑनलाइन व ऐप के जरिए पंजीकरण करवाया जा सकता है और इसी साप्ताहांत तक लगभग 30 लाख लोग पंजीकरण करवा चुके हैं. इस आयोजन में किसी भी उम्र का खिलाड़ी भाग ले सकता है जिसमें महिला व पुरुषों की अलग अलग श्रेणियों में मैच होंगे. यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश: जैश-ए-मोहम्मद से जुड़़े एक और आतंकी को एटीएस ने गिरफ्तार किया
तय कार्यक्रम के अनुसार ग्रामीण ओलंपिक में राज्य की 11341 ग्राम पंचायत, 352 ब्लॉक, 33 जिलों व राज्य स्तर पर प्रतियोगिताएं होंगी. राज्य सरकार इस आयोजन पर लगभग 40 करोड़ रूपये खर्च कर रही है. गहलोत ने इसी सप्ताहांत ग्रामीण ओलंपिक की तैयारियों को लेकर आला अधिकारियों के साथ बैठक की. इसमें उन्होंने उम्मीद जताई कि ग्रामीण ओलिंपिक खेल किसी भी राज्य द्वारा आयोजित सबसे बड़ा ऐतिहासिक खेल आयोजन होगा. उन्होंने कहा, ‘‘इस आयोजन में ना कोई विचारधारा होगी, ना कोई धर्म और ना ही कोई जात-पात. यह आयोजन राजस्थान में अभूतपूर्व खेल वातावरण तैयार करेगा और राज्य को भविष्य के लिए उभरते खिलाड़ी मिलेंगे. ’’ मित्रतापूर्ण खेलों से ग्रामीणों में आपसी सामंजस्य और सद्भाव बढ़ने की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैदान पर जब दादा-पोता और चाचा-भतीजा खेलने उतरेंगे तो रिश्तों में और मजबूती आएगी तथा गांवों में खेल भावना का विकास होगा. ’’