पटना, 17 अप्रैल लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राजस्थान के कोटा में फंसे अपने प्रदेश के छात्रों को वापस लाने के लिए वहां बस भेजने के निर्णय के बीच बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार ने पूछा है कि क्या राजस्थान ने अन्य प्रदेशों में फंसे अपने छात्रों को वापस बुलाया है।
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोटा मामले में कहा कि कुछ लोग नहीं माने और अपने यहां भी वहां से आ गए, उन्हें सीमा पर नहीं रखा गया बल्कि ऐसे लोगों की जांच कर घर भिजवाने की व्यवस्था की गई।
कुमार ने कहा, अब कोई कहे कि कोटा में जो लोग हैं उनको फिर बुलवा लिया जाए और देश के कोने-कोने में भी जो लोग फंसे हुए हैं अगर उनकी मांग पर भी सभी राज्य उन्हें वापस लाने लगे तो लॉकडाउन का मजाक उड़ जाएगा।हम लोग तो पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक दूरी ही सभी को बचा सकती है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उत्तर प्रदेश सरकार के उक्त निर्णय पर किए गए ट्वीट पर संजय ने कहा ''क्या यह लॉकडाउन पर करारा प्रहार और इसका मखौल उड़ाना नहीं होगा! अब तक, हमने संयम और अच्छे काम के जरिए कोविड-19 पर अन्य देशों की तुलना में नियंत्रण पाने की दिशा में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसे क्यों कमजोर करें ? इसके अलावा, क्या राजस्थान ने सभी बाहरी छात्रों को वापस बुलाया है?
संजय ने यह प्रतिक्रिया गलहोत के उस ट्वीट जिसमें उन्होंने कहा
था ''जैसा कि यूपी सरकार ने (कोटा) राजस्थान में रहने वाले उत्तर प्रदेश के छात्रों को वापस बुलाया, यह अन्य राज्यों के छात्रों के लिए भी किया जा सकता है। कोटा में छात्रों को संबंधित राज्य सरकार की सहमति पर उनके गृह राज्यों में भेजा जा सकता है, ताकि ये युवा लड़के और लड़कियां घबराएं या प्रभावित न हों।’’
संजय ने आगे कहा ''माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्पष्ट निर्देश है कि राज्य के बाहर फंसे किसी बिहारवासी को किसी तरह की दिक्कत न हो। देश के 12 राज्यों में 50 से अधिक राहत केंद्र और बढ़ाएंगे। अब तक दूसरे राज्यों में फंसे 10 लाख से अधिक लोगों को एक-एक हजार रुपये भेजे जा चुके हैं।’’
लॉकडाउन के दौरान राजस्थान के कोटा में फंसे बिहार के छात्रों के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने शनिवार को कहा कि बिहार की सरकार ने अनुरोध किया है कि लॉकडाउन में जो जहां हैं, वहीं रहें और उन्हें राज्य सरकार की ओर से आवश्यक सुविधाएं पहुंचायी जा रही है। बिहार के बाहर यहां के लोग जहां भी हैं, बेहतर यही होगा कि वहां की सरकारें उनका भी ख्याल रखे। जब रेल और विमान सेवा शुरू होगी, तब वे निश्चित रूप से आएंगे।
बिहार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि जो कुछ योगी आदित्यनाथ और अशोक गहलोत कर रहे हैं, उससे लॉकडाउन का मजाक उड़ेगा। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया था कि वे जहां हैं, वहीं रहें। अगर केंद्र सरकार इस तरह के बदलावों के साथ ठीक है, तो यह पुनर्विचार करना चाहिए कि आखिर क्यों लॉकडाउन किया गया।
उन्होंने कहा “कोटा में बिहारी छात्र हैं, कोई संदेह नहीं है, हमारे प्रिय हैं लेकिन देश के अन्य हिस्सों में फंसे छात्र हैं। इसलिए हम लोग अलग-अलग जगहों में फंसे लोगों के लिए भिन्न भिन्न पैमाना नहीं अपना सकते हैं।’’
बिहार के सूचना और जनसंपर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार ने अपने अन्य मंत्रियों के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कहा कि हमें आश्चर्य है कि उत्तर प्रदेश सरकार सामाजिक दूरी को कैसे बनाए रखेगी। हमने सुना है कि वे सुनिश्चित करेंगे कि 200 बसों में से प्रत्येक में 25 से अधिक छात्र न हों। क्या उनके पास इतनी बड़ी बसें हैं जो कई छात्रों को न्यूनतम दूरी बनाए रखने के साथ ले जाने में सक्षम हैं?
बिहार में सत्ताधारी जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जिन अभिभावकों ने बच्चों को अपने घर से दूर भेजा उनका त्याग और बलिदान बच्चों के भविष्य के महत्वपूर्ण रहेगा पर उनसे हमारी जरूर एक और अपेक्षा रहेगी कि संकट की इस घड़ी में अपने अपने बच्चों को खुद भी जो जहां हैं वहां रहने की बात कहेंगे।
उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को सोमवार को पत्र लिखकर कोटा जिलाधिकारी के बिहार के छात्रों को पास देकर निजी वाहनों में भेजे जाने के कदम की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए गृहमंत्रालय के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए उन्हें कड़ी चेतावनी देने और साथ ही राजस्थान सरकार द्वारा दिशानिर्देश का कड़ाई से पालन करे इसके लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।
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