देश की खबरें | न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र में एकरूपता के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय में सोमवार को एक जनहित याचिका दाखिल कर उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की एक समान उम्र तय करने का अनुरोध किया गया है।

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल उच्चतम न्यायालय में सोमवार को एक जनहित याचिका दाखिल कर उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की एक समान उम्र तय करने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि अगर सेवानिवृत्ति उम्र में एकरूपता रहेगी तो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और आजादी से न्यायिक कार्य कर पाएंगे तथा उच्चतम न्यायालय जाने की कोई अपेक्षा भी नहीं रहेगी।

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के बीच अधीनस्थता की आशंका भी कम होगी, इसलिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की तरह होना चाहिए।

वकील और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका में अदालतों के न्यायाधीशों के लिए अलग-अलग सेवानिवृत्ति की उम्र को अतार्किक बताते हुए सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने और इसे 65 साल करने का अनुरोध किया गया है और कहा गया है कि इससे ना केवल कानून का शासन मजबूत होगा बल्कि अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त त्वरित न्याय का मौलिक अधिकार भी बना रहेगा।

वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल है, वहीं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 साल में सेवानिवृत्त होते हैं।

अधिवक्ता अश्वनी कुमार दुबे के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है, ‘‘न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र में एकरूपता से उच्च न्यायालय में अनुभवी न्यायाधीशों का समूह तैयार होगा जो कि अति महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला करने में काफी उपयोगी होगा ।’’

याचिका में कहा गया कि लंबित मामलों के निपटारा के लिए भी सेवानिवृत्ति की उम्र में एकरूपता जरूरी है और इससे पीठ में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को भी बनाए रखने में मदद मिलेगी।

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