देश की खबरें | मप्र उच्चतर न्यायिक सेवा नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पहले से लंबित मामले के साथ संलग्न
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नयी दिल्ली, 22 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश की उच्चतर न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा शर्तें) नियम, 2017 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की याचिका मंगलवार को इसी विषय पर पहले से लंबित याचिका के साथ संलग्न कर दी।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि इस समय राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण के अध्यक्ष अक्षय कुमार द्विवेदी की याचिका पर इसी मामले में पहले से लंबित याचिकाओं के साथ सुनवाई की जायेगी।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया है कि न्यायिक अधिकारी की शिकायत नियम 11 के बारे में है जिसमें अधिकारी की वरिष्ठता निर्धारित करने के लिये 100 रोस्टर अंक शामिल किये गये हैं।
इस अधिकारी ने मप्र उच्चतर न्यायिक सेवा नियम, 2017 के नियम 11 को निरस्त करने का अनुरोध किया है। ये नियम 13 मार्च 2018 को प्रकाशित हुये थे।
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याचिका में दलील दी गयी है कि वास्तव में रिक्ति आधारित रोस्टर प्रणाली का प्रावधान लागू किया गया है जबकि उच्चतम न्यायालय ने ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन बनाम भारत सरकार मामले में 40 अंक काडर आधारित रोस्टर प्रणाली का प्रावधान किया था।
याचिका के अनुसार 40 अंक आधारित रोस्टर प्रणाली न्यायालय का बाध्यकारी निर्देश था लेकिन इसे प्राधिकारियों ने शामिल नहीं किया है।
इस न्यायिक अधिकारी का कहना है कि वह 2007 में उच्चतर न्यायिक सेवा में आया और उसने शीर्ष अदालत के इस निर्देश को लागू करने के लिये अनेक बार अनुरोध किया और प्रतिवेदन दिये लेकिन 15 साल बाद भी प्राधिकारियों ने इसे लागू नहीं किया है।
याचिका के अनुसार मप्र उच्चतर न्यायिक सेवा नियम, 1994 के स्थान पर 2017 के नियम बनाये गये थे ताकि इसमें रोस्टर प्रणाली शामिल की जा सके।
अनूप
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