शिमला, तीन अक्टूबर हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के लिए नीति तैयार करने को लेकर गठित समिति ने बृहस्पतिवार को अपनी पहली बैठक की और नियमों को अंतिम रूप देने से पहले लोगों की राय लेने का फैसला किया।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 20 सितंबर के विधानसभा के निर्णय के अनुरूप नीति तैयार करने के लिए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति गठित की थी।
बैठक के बाद चौहान ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘ ग्रामीण क्षेत्रों में रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को विनियमित व नियंत्रित करने की आवश्यकता पर चर्चा हुई। समिति ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज निकायों को भी रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को विनियमित करने के बारे में विचार करना चाहिए और नियम बनाने चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि लोगों की राय महत्वपूर्ण है और रेहड़ी-पटरी विक्रेता नीति के लिए नियम बनाने से पहले समाचार पत्रों, ईमेल और सोशल मीडिया के माध्यम से उनके सुझाव या आपत्तियां मांगी जाएंगी।
चौहान ने कहा कि कुछ मुद्दों पर सुझाव और स्पष्टीकरण मांगे गए हैं और अगली बैठक चार नवंबर को निर्धारित की गई है।
पिछले दिनों यहां संजौली क्षेत्र में एक मस्जिद के अनधिकृत हिस्से को ध्वस्त करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने बाहरी श्रमिकों को उनकी वास्तविक पहचान के साथ पंजीकृत करने की मांग की थी। हिंदू समूहों ने राज्य के अन्य हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन किए थे। प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की थी कि रेहड़ी-पटरी के लाइसेंस केवल स्थानीय लोगों को दिए जाएं और प्रवासी श्रमिकों के पिछले रिकॉर्ड की पुष्टि की जाए।
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