नयी दिल्ली, 11 अप्रैल देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के बीच अपने गांवों की ओर पैदल ही लौट रहे बेघर प्रवासी मजदूरों, संक्रमण के खतरे के बावजूद झुग्गी-बस्तियों में एक साथ रहने को मजबूर लोगों और आजीविका का जरिया समाप्त होने के कारण भोजन के लिए संघर्ष कर रहे लोगों की तस्वीरें एवं वीडियो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर कोरोना वायरस संकट के विनाशकारी प्रभाव के साक्षी हैं। ऐसे में, इन गरीब एवं वंचित लोगों की परेशानियों को कम करने के लिए इस मुश्किल समय में देशभर से आम लोग मदद के लिए आए हैं।
प्रवासी श्रमिकों, घरेलू सहायकों और मजदूरों की सहायता के लिए पूरे देश के हर कोने से भारतीय आगे आकर दान कर रहे है। वे ऑनलाइन पैसे हस्तांतरित करके क्राउडफंडिंग साइटों के जरिए दान दे रहे हैं।
जब खासतौर से इंटरनेट के माध्यम से बड़ी संख्या में लोग किसी मकसद से लिए दान देते हैं तो उस प्रक्रिया को ‘क्राउडफंडिंग’ कहा जाता है।
मात्र 17 दिन में 38.27 लाख रुपए एकत्र करने वाले बेंगलुरु स्थित एक गैर सरकारी संगठन हासिरु दाला की सदस्य रोहिणी मालुर ने कहा, ‘‘लोगों ने बहुत उदारता दिखाई है।’’
हासिरु दाला क्राउडफंडिंग से मिले इस धन से कर्नाटक के छह शहरों में दिहाड़ी मजदूरों को 21 दिन के लिए पर्याप्त राशन की किट मुहैया करा रहा है।
इस संगठन ने कॉरपोरेट घरानों की मदद पर निर्भर रहने के बजाए क्राउडफंडिंग साइट ‘केट्टो’ से करार किया जिसने अपना सेवा शुल्क माफ कर दिया है।
बिहार में ‘प्रोजेक्ट पोटेंशियल’ भी इसी प्रकार मुहिम चलाकर ‘गिव इंडिया’ क्राउडफंडिंग साइट की मदद से दिहाड़ी मजदूरों की मदद कर रहा है। इस साइट ने भी अपना शुल्क माफ कर दिया है।
प्रोजेक्ट पोटेंशियल के अबोध कुमार ने ‘पीटीआई ’ से कहा, ‘‘बंद के कारण दिहाड़ी मजदूरों के पास आजीविका का जरिया नहीं है।’’
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