कोलकाता, नौ जुलाई नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने शनिवार को कहा कि देश के लोगों को ‘‘राजनीतिक अवसरवाद’’ के लिए बांटा जा रहा है।
सेन ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि राजनीतिक कारणों से लोगों को कैद करने की औपनिवेशिक प्रथा भारत को आजादी मिलने के दशकों बाद भी जारी है।
उन्होंने ‘आनंदबाजार पत्रिका’ के शताब्दी समारोह को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारतीयों को बांटने की कोशिश हो रही है...राजनीतिक अवसरवाद के कारण हिंदुओं और मुसलमानों के सह-अस्तित्व में दरार पैदा की जा रही है।’’
इस दैनिक का पहला संस्करण 13 मार्च, 1922 को प्रकाशित हुआ था। प्रफुल्ल कुमार सरकार इसके संस्थापक-संपादक थे।
सेन (88) ने कहा, ‘‘उस समय (1922) देश में कई लोगों को राजनीतिक कारणों से जेल में डाल दिया गया था ... मैं तब बहुत छोटा था और अक्सर सवाल करता था कि क्या बिना कोई अपराध किए लोगों को जेल भेजने की यह प्रथा कभी बंद होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद, भारत आजाद हो गया, लेकिन यह प्रथा अभी भी जारी है।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)