विदेश की खबरें | पीसीओएस : वजन कम करने से मिल सकती है मदद, पर सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचना से बचें
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

ऑर्क्सफोर्ड, आठ सितंबर (द कन्वरसेशन) ऐसा माना जाता है कि अंडाशय के काम करने के तरीके पर असर डालने वाली हार्मोनल स्थिति पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) की चपेट में दुनियाभर की 20 प्रतिशत महिलाएं आती हैं। यह स्थिति इतनी सामान्य है और इसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर इतना गंभीर असर पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद शोधकर्ता अभी तक पूरे विश्वास के साथ यह नहीं कह सकते कि पीसीओएस के कारण क्या हैं -इसके इलाज के बारे में तो बात छोड़ ही दीजिए।

हार्मोनल थेरेपी लेने के साथ ही ज्यादातर मार्गदर्शन में कहा जाता है कि वजन कम करना पीसीओएस से निपटने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है। शरीर के वजन में महज चार प्रतिशत की कमी से भी लक्षणों में सुधार देखा गया है। वजन घटाने से ज्यादा वजन से जुड़ी कहीं अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और सोते वक्त सांस लेने में दिक्कत होने का जोखिम भी कम हो सकता है।

लेकिन पीसीओएस से जुड़े हार्मोनल असंतुलन से महिलाओं के लिए वजन कम करना मुश्किल हो सकता है। पीसीओएस केंद्रित अनुसंधान के लिए ऐतिहासिक कम वित्त पोषण का मतलब यह भी है कि यह पता लगाने के लिए विश्वसनीय, साक्ष्य आधारित मार्गदर्शन की भारी कमी है कि वजन कम करने के सर्वोत्तम तरीके क्या हैं और इसके परिणामस्वरूप पीसीओएस के लक्षणों में क्या सुधार आ सकता है।

इसके कारण कई महिलाएं इंटरनेट का रुख करती हैं जहां आहार संबंधी सलाह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। लेकिन कई बार ये सूचनाएं भ्रामक होती हैं।

सोशल मीडिया और पीसीओएस :

इंस्टाग्राम पर ‘पीसीओएस डाइट’ हैशटैग से लगभग पांच लाख पोस्ट हैं। टिकटॉक पर इस हैशटैग वाली कई वीडियो को 47 करोड़ से अधिक बार देखा गया है।

आप केवल 30 सेकंड के लिए इस हैशटैग को स्क्रॉल करिए और आपको स्वयंभू ‘‘विशेषज्ञों’’ की विरोधाभासी सूचना वाली दर्जनों पोस्ट मिलेंगी। कई पोस्ट में जीवनशैली, आहार या व्यायाम संबंधी सलाह मिलेगी जिसमें लक्षणों में सुधार और बल्कि पीसीओएस को भी ठीक करने का वादा किया जाता है।

इनमें से करीब एक बेहद मामूली हिस्सा (1.4 प्रतिशत पोस्ट) ही पंजीकृत आहार विशेषज्ञों द्वारा किए जाने का अनुमान है।

सोशल मीडिया पीसीओएस से पीड़ित लोगों की मदद कर सकता है लेकिन कई महिलाओं को लगता है कि सोशल मीडिया पर जिस तरह वजन कम करने को सही आहार या व्यायाम से आसानी से हासिल करने वाला बताया जाता है वह हतोत्साहित करने वाला होता है।

यह सूचना और भ्रामक सूचना पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को इन आहार का इस्तेमाल करते वक्त हतोत्साहित कर सकती हैं जब उन्हें लगता है कि वे अपनी पसंदीदा इन्फ्लूएंसर्स के जैसे परिणाम हासिल नहीं होते हैं।

अनुसंधान की आवश्यकता :

पीसीओएस से पीड़ित लोगों के लिए वजन घटाने के बारे में सटीक जानकारी की कमी काफी हद तक महिलाओं के स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए ऐतिहासिक कमी के कारण है। पिछले दशक में, पीसीओएस के लिए आवंटित अनुसंधान कोष संधिवात (रूमटॉइड) गठिया (दीर्घकालीन सूजन संबंधी विकार जो जोड़ों के अलावा अन्य हिस्सों पर भी असर डाल सकता है) जैसी बीमारियों के अनुसंधान के लिए आवंटित राशि के आधे से भी कम रही है।

अगर पीसीओएस के लक्षणों से निपटने के सबसे अच्छे कदमों में से एक वजन कम करना है तो अनुसंधान की आवश्यकता है या फिर हम महिलाओं को अधिक संदिग्ध ऑनलाइन स्रोतों पर भरोसा करने का जोखिम उठाने दें। हमें पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को आहार संबंधी विकल्प उपलब्ध कराने के लिए उच्च गुणवत्ता के सबूत देने की आवश्यकता है ताकि वे अपने लिए सबसे अच्छे आहार का फैसला ले सकें।

द कन्वरसेशन

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