शरद पवार ने की उद्धव ठाकरे की प्रशंसा, राकांपा को गांधी-नेहरू की विचारधारा के प्रति कटिबद्ध बताया

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुखिया शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह एक ‘‘मृदुभाषी व्यक्ति’’ हैं, जो जिम्मेदारी का सामना करने से पीछे नहीं हटते. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस के साथ राकांपा के मतभेद हो सकते हैं, लेकिन फिर भी यह महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा के प्रति कटिबद्ध है.

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Photo Credits: Facebook)

मुंबई, 10 सितंबर : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुखिया शरद पवार (Uddhav Thackeray

) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह एक ‘‘मृदुभाषी व्यक्ति’’ हैं, जो जिम्मेदारी का सामना करने से पीछे नहीं हटते. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस के साथ राकांपा के मतभेद हो सकते हैं, लेकिन फिर भी यह महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा के प्रति कटिबद्ध है. मराठी समाचार-पोर्टल 'मुंबई तक' से बातचीत में पवार ने यह भी कहा कि यह सोनिया गांधी थीं, जिन्होंने आखिरकार फैसला किया कि कांग्रेस महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए राकांपा और शिवसेना से हाथ मिला सकती है.उन्होंने कहा, "मैंने उद्धव ठाकरे को उनके बचपन से देखा है. जब उन्होंने शिवसेना से संबंधित मामले देखने शुरू किए तो उन्होंने अपने पिता (बाल ठाकरे) के दिशा-निर्देशों का पालन किया. लेकिन जब पार्टी की जिम्मेदारी उनपर आ गई, तो उनकी क्षमताओं के बारे में कुछ संदेह था."

राकांपा प्रमुख ने कहा, "लेकिन शिवसेना ने उद्धव के नेतृत्व में मुंबई निकाय चुनाव जीता. उसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि वह एक मृदुभाषी व्यक्ति हो सकते हैं, लेकिन उनमें क्षमता है और जिम्मेदारी उठा सकते हैं." उन्होंने कहा, "उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना आगे बढ़ी है." नेतृत्व संबंधी मुद्दों पर 1999 में कांग्रेस छोड़ने वाले पवार ने कहा कि कांग्रेस और राकांपा में केवल कामकाज की शैली को लेकर मतभेद हैं. उन्होंने कहा, "राकांपा गांधी और नेहरू की विचारधारा के प्रति कटिबद्ध है." पवार ने कहा, "शिवसेना भी कभी कांग्रेस की कटु आलोचक नहीं रही. बाल ठाकरे ने इंदिरा गांधी के आपातकाल लगाने के फैसले का समर्थन किया था. आपातकाल के बाद के चुनावों में शिवसेना ने कांग्रेस के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था." यह भी पढ़ें : Karnataka: पिछले 24 घंटे में COVID-19 के 967 नए मामले सामने आए, 10 की मौत

राकांपा अध्यक्ष ने कहा कि वह 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना और उसकी तत्कालीन सहयोगी भाजपा के बीच उभरे मतभेदों पर “करीबी नज़र” रख रहे थे. उन्होंने कहा, "तब हमें लगा कि हमें शिवसेना से बात करने की जरूरत है... (शिवसेना सांसद) संजय राउत ने पहल की." पवार ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी के नेताओं से सलाह-मशविरा करने के बाद गठबंधन का हिस्सा बनने पर सहमति जताई. इन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि राहुल गांधी शिवसेना से कांग्रेस के हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं थे, पवार ने कहा, "राहुल गांधी उन चर्चाओं में शामिल नहीं थे. सोनिया गांधी ने कांग्रेस में सभी से बात की और फिर अपनी सहमति दी."

Share Now

\