विदेश की खबरें | सर्वदलीय सरकार पर दलों के प्रस्ताव हितधारकों के साथ साझा किए जाएंगे: विक्रमसिंघे
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

कोलंबो, छह अगस्त श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शनिवार को कहा कि देश में सर्वदलीय सरकार बनाने के लिए यहां हुई महत्वपूर्ण वार्ता के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा रखे गए प्रस्तावों को सोमवार तक सभी हितधारकों को उपलब्ध करा दिया जाएगा।

विक्रमसिंघे ने सात दिन के स्थगन के बाद संसद शुरू होने पर मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिए एक सर्वदलीय सरकार बनाने के वास्ते बुधवार को राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया था।

मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया (एसजेबी) के सांसद हर्षा डी सिल्वा ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि 90 मिनट की बैठक सकारात्मक रही और सभी हितधारक सर्वदलीय शासन की अवधारणा को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के लिए मंगलवार को फिर से बैठक करने पर सहमत हुए।

विक्रमसिंघे ने कहा कि अगले सप्ताह इस संबंध में और बातचीत होगी जिसमें वे दल भी शामिल होंगे जिन्होंने सर्वदलीय सरकार का विरोध किया है।

मुख्य विपक्षी दल एसजेबी ने शुक्रवार को कहा था कि वह सर्वदलीय सरकार में शामिल नहीं होगी लेकिन आम मुद्दों पर सरकार को बाहर से समर्थन देगी। सत्तारूढ़ एसएलपीपी से अलग हुए सांसदों ने भी घोषणा की है कि वे सरकार में पद ग्रहण नहीं करेंगे।

विक्रमसिंघे ने राजनीतिक दलों से कहा कि अगर कोई सर्वदलीय सरकार उन्हें स्वीकार्य नहीं है तो वे एक सर्वदलीय प्रशासन में शामिल हों। उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था बहुत खराब स्थिति में है। मैं सभी को मंत्री बनकर इस प्रयास में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं।’’

पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने कहा कि सर्वदलीय सरकार बनाने के मुद्दे पर राजनीतिक दल बंटे हुए हैं और इस प्रक्रिया को अविलंब पूरा किया जाना चाहिए।

पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार की आर्थिक संकट से निपटने में नाकामी को लेकर व्यापक सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के बीच अप्रैल की शुरुआत में एक सर्वदलीय सरकार का प्रस्ताव रखा गया था।

राजपक्षे के सर्वदलीय सरकार बनाने के आह्वान को विपक्षी दलों ने नजरअंदाज कर दिया था।

राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, विक्रमसिंघे को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से एक बधाई संदेश मिला है, जिसमें कहा गया है कि संकटग्रस्त देश में स्थिरता लाने के लिए उनका नेतृत्व महत्वपूर्ण है।

यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे को 20 जुलाई को सांसदों द्वारा राष्ट्रपति चुना गया था। 1978 के बाद इस तरह का यह पहला अवसर था।

विक्रमसिंघे को देश छोड़कर चले गए पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे के शेष कार्यकाल के लिए चुना गया है। 225 सदस्यीय संसद में उन्हें अधिकांश समर्थन राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी से मिला।

मार्च में प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे परिवार के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू किया और पूरे राजपक्षे परिवार के इस्तीफे की मांग की, जिसके कारण नौ मई को तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया। वहीं, उनके भाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़कर चले गए और अगले दिन सिंगापुर से उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा।

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