रांची/दुमका, 10 जून झारखंड सरकार की नौकरी नियोजन नीति के खिलाफ आहूत छात्र संगठनों के दो दिवसीय राज्य बंद का आंशिक प्रभाव देखने को मिल रहा है।
राजधानी रांची में तोड़फोड़ की आशंका के चलते स्कूल-कॉलेज एवं दुकानें पहले ही बंद कर दी गई हैं, लेकिन यातायात लगभग सामान्य है। वहीं उप राजधानी दुमका में सुबह से ही लगभग सभी दुकानें बंद हैं और वाहनों की आवाजाही बंद है।
राजधानी रांची में सुबह से ही बंद का आह्वान करने वाले झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो के साथ अन्य दर्जनों छात्र शहर के विभिन्न स्थान पर जाकर दुकानदारों और वाहन चालकों से बंद का समर्थन की अपील करते नजर आए, लेकिन लोगों ने आवश्यक वस्तुओं, फल एवं सब्जी आदि की अपनी दुकानें खुली रखी हैं और लगभग सभी प्रमुख स्थानों पर यातायात सामान्य है।
हालांकि तोड़फोड़ की आशंका में स्कूलों एवं कॉलेजों ने अपने यहां पहले ही छुट्टी घोषित कर रखी है।
प्रशासन ने पूरे राज्य में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद होने का दावा किया है।
रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कौशल किशोर ने बताया कि कुछ स्थानों पर छात्र लोगों से बंद का समर्थन करने की अपील करते हुए दिखे लेकिन कहीं से भी किसी प्रकार की अशांति अथवा हिंसा की खबर नहीं मिली है और और राजधानी में सभी कामकाज आम दिनों की तरह जारी हैं।
झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन के आह्वान पर नियोजन नीति के विरोध में 48 घंटे के लिए झारखंड बंद के पहले दिन, रांची में सुबह से ही बस सेवा प्रभावित रही।
छात्रों ने रांची आने-जानेवाली बसों को रोकने का प्रयास किया। सुबह जो बसें बाहर से आई थीं उन्हें बंद से अलग रखा गया।
इस दौरान छात्र नेताओं ने जुलूस निकाला जिसमें वे राज्य सरकार की नियोजन नीति के विरोध में नारे लगाते दिखे। उन्होंने सभी बस एसोसिएशन, ट्रक एसोसिएशन, दुकानदार संघ, बाजार समितियों से बंद में सहयोग करने की अपील की।
महतो ने कहा कि उनके छात्र संगठनों की मांग है कि सभी रिक्त पदों पर 100 प्रतिशत स्थानीय लोगों की नियुक्ति की जाए।
उल्लेखनीय है कि नयी नियोजन नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। सरकार इसके माध्यम से नियुक्ति की तैयारी में है तो दूसरी तरफ इसे लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
इस नियोजन नीति का कई अन्य छात्र संगठन भी विरोध कर रहे हैं जिनमें झारखंड उलगुलान मार्च, पंचपरगना फाइटर, आदिवासी छात्र संघ, आमया आदि शामिल हैं।
छात्रों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की नयी नियोजन नीति के अनुसार 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी वहीं 40 प्रतिशत सीटें 'सभी के लिए' हैं। चालीस प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं, छात्र इसी का विरोध कर रहे हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)