ताजा खबरें | संसदीय समिति ने एलसीए-नौसेना पर ‘आश्वासन’ को छोड़ने का सरकार का अनुरोध अस्वीकार किया
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. संसद की एक समिति ने हल्का लड़ाकू विमान (नौसेना) के विकास को लेकर लोकसभा में पूछे गए प्रश्न पर रक्षा राज्य मंत्री के उत्तर को आश्वासन माना और इसे छोड़ने के सरकार के आग्रह को अस्वीकार करते हुए कहा कि किसी आश्वासन को केवल इस आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता है कि इसके कार्यान्वयन में काफी समय लगेगा ।
नयी दिल्ली, तीन अगस्त संसद की एक समिति ने हल्का लड़ाकू विमान (नौसेना) के विकास को लेकर लोकसभा में पूछे गए प्रश्न पर रक्षा राज्य मंत्री के उत्तर को आश्वासन माना और इसे छोड़ने के सरकार के आग्रह को अस्वीकार करते हुए कहा कि किसी आश्वासन को केवल इस आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता है कि इसके कार्यान्वयन में काफी समय लगेगा ।
लोकसभा में 21 जुलाई 2022 को पेश भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल की अध्यक्षता वाली सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2017 को राजेन्द्र अग्रवाल ने रक्षा मंत्री से अतारांकित प्रश्न संख्या 4860 पूछा था । अग्रवाल ने पूछा था कि क्या रक्षा मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से विकसित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को अस्वीकार कर दिया है ? यदि हां, तो इसके क्या कारण है । क्या नौसेना का इरादा किसी अन्य देश के वैकल्पिक लड़ाकू विमान खरीदने का है, यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है?
इस प्रश्न के लिखित जवाब में तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री डा. सुभाष भामरे ने कहा था कि हल्के लड़ाकू विमान (नौसेना) का विकास का कार्य प्रगति पर है। इस बीच, भारतीय नौसेना ने 25 जनवरी 2017 करे बहु आयामी लड़ाकू विमान (एमआरसीबीएफ) के लिये जानकारी हेतु वैश्चिक अनुरोध (आरएफआई) जारी किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति द्वारा प्रश्न के उत्तर को आश्वासन माना गया था और रक्षा मंत्रालय को यह आश्वासन दिये जाने की तारीख से तीन महीने के भीतर पूरा करना था लेकिन इसे अभी तक पूरा नहीं किया गया ।
इसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन विभाग) ने 11 जुलाई 2018 को इस आधार पर छोड़ने का अनुरोध किया कि एलसीए नौसेना एमके-2 डिजाइन चरण में है।
रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा करने के मकसद से भविष्य में पूरी तरह से सक्षम बहु भूमिका वाले जहाज की छत(डेक) से संचालित होने वाले लड़ाकू विमान विकसित करने के लिये एक मध्यवर्ती कदम के रूप में नौसेना द्वारा सहायता की जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि इसे आंशिक रूप से वित्त पोषित किया जा रहा है तथा इससे बनने में काफी समय लगता है।
समिति द्वारा आश्वासन को छोड़ने के अनुरोध पर 24 जनवरी 2020 की बैठक में विचार किया गया और आश्वासन को नहीं छोड़ने का निर्णय किया गया ।
इसमें कहा गया है कि समिति ने 23 सितंबर 2020 को 12वां प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और अन्य बातों के साथ साथ यह इच्छा व्यक्त की कि मंत्रालय इस विषय पर ईमानदारी से कार्रवाई करे और आश्वासनों को शीघ्रातिशीघ्र पूरा किया जाए ।
फिर भी रक्षा मंत्रालय (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन विभाग) ने दो नवंबर 2021 को बताया कि हायर थ्रस्ट सिंगल इंजन के साथ एलसीए नौसेना के एमके-2 प्रारूप की संकल्पना भारतीय नौसेना की जरूरतों के आधार पर की गई थी और डिजाइन दस्तावेज तैयार किये गए थे । फिर भी, हिन्द महासागर क्षेत्र में तेजी से उभरते खतरे की आशंका के कारण भारतीय नौसेना ने दोहरे इंजन की डेक आधारित लड़ाकू विमान की जरूरत को नये सिरे से परिभाषित किया ।
इसमें कहा गया है कि एलसीए के नौसेना एमके-1 प्रारूप के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन से मिलने विश्वास के आधार पर प्रारंभिक सेवा गुणवत्ता जरूरत (पीएसक्यूआर) दिया गया है और दोहरे इंजन वाला लड़ाकू विमान अब डिजाइन के चरण में है।
रिपोर्ट के अनुसार, उपरोक्त बातों के मद्देनजर, मंत्रालय ने रक्षा राज्य मंत्री के अनुमोदन से उपरोक्त आश्वासन को छोड़ने का पुन: अनुरोध किया है।
लोकसभा में 21 जुलाई को प्रस्तुत सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति का मानना है कि किसी आश्वासन को केवल इस आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता है कि इसके कार्यान्वयन में काफी समय लगेगा ।’’
समिति की जांच से पता चला है कि शुरू में हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के नौसेना प्रारूप मार्क 2 की परिकल्पना भारतीय नौसेना की आवश्यक्ताओं के आधार पर की गई थी तथा डिजाइन दस्तावेज तैयार किये गए थे ।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ हिन्द महासागर क्षेत्र में तेजी से उभरते खतरे के कारण भारतीय नौसेना ने ‘दो इंजन’ आधारित लड़ाकू विमान (टीईडीबीएफ) की अपनी जरूरतों को रेखांकित किया। इसके परिणामस्वरूप ‘दो इंजन’ आधारित लड़ाकू विमान (टीईडीबीएफ) अब डिजाइन के चरण में है। उपयोगकर्ता ने दो इंजन वाले लड़ाकू विमान को मिग-29के स्थान पर लाने के संकेत दिये हैं और ये वर्ष 2031 तक उपलब्ध होंगे । ’’
समिति का मानना है कि रक्षा मामलों खास तौर पर लड़ाकू विमानों के मामले में खतरे की स्थिति का आकलन, सतत विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन तथा परियोजना को पूरा करने के संबंध में एक निर्धारित समय सीमा होनी चाहिए ।
इसके अलावा, समय समय पर वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये बदलती परिस्थितियों के अनुरूप रणनीति को संशोधित करने और नए अवसरों का लाभ उठाने के लिये हर संभव प्रयास किये जाने चाहिए ।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति चाहती है कि मंत्रालय इस मामले को गंभीरता से ले और आश्वासनों को यथाशीघ्र पूरा करें । ’’
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